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पटनाः Kushmanda Puja Vidhi: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है. माता आध्यात्मिक स्वरूप में ब्रह्मांड की सृजन कर्ता हैं. मां के स्वरूप की व्याख्या इस प्रकार से की गई है मां की अष्ट भुजाएं हैं जो जीवन में कर्म करने का संदेश देती हैं. उनकी मुस्कान हमें यह बताती है कि हमें हर परिस्थिति का हंसकर ही सामना करना चाहिए. मां की हंसी और ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण ही इन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है.
सेवा-भक्ति से प्रसन्न होती हैं मां
जिस समय सृष्टि नहीं थी. चारों और अंधकार ही था. तब देवी ने अपनी हंसी से ही ब्राह्माण्ड की रचना की थी. इसलिए यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं. मां के सात हाथों में कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. मां का निवास सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है. जहां कोई भी निवास नहीं कर सकता. मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना से सभी प्रकार के रोग और परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. मान्यता है मां कूष्मांडा कम सेवा और भक्ति से प्रसन्न हो जाती हैं.
मां कूष्मांडा की पूजा विधि-
-सुबह स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
- इसके बाद मां कूष्मांडा का स्मरण करके उनको धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें.
-अब मां कूष्मांडा को हलवा और दही का भोग लगाएं. फिर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर सकते हैं.
- पूजा के अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें.
ये है मां कुष्मांडा के मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू..
ॐ कूष्माण्डायै नम.
मां को प्रिय है ये भोग-
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोग लगाएं. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी. साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी.
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