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Old Pension Scheme: एक तरफ केंद्र सरकार की नई पेंशन नीति के खिलाफ कर्मचारियों का तेज होता आंदोलन और दूसरी तरफ केंद्र से अलग 5 राज्यों में पुरानी पेंशन योजना की बहाली का फैसला. एक बार फिर से केंद्र सरकार को इस पर विचार करने पर मजबूर कर चुका है. केंद्र सरकार ने जिस तेजी से नई पेंशन योजना में सुधार करने के लिए एक कमिटी का गठन किया है उससे तो ऐसा लगने लगा है कि अब सरकार पर दवाब ज्याद बढ़ गया है. दरअसल पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का ज्यों हीं फैसला लिया, भाजपा शासित प्रदेशों में भी यह मांग तेज हो गई. बता दें कि भाजपा शासित प्रदेश में कर्मचारियों के द्वारा सरकार पर डाले जा रहे दवाब का असर अब केंद्र की सरकार पर भी दिखने लगा है.
एक तरफ केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई पेंशन योजना की समीक्षा के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन कर उस पर रिपोर्ट मांगी है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने साल 2003 के 30 दिसंबर तक केंद्रीय सरकारी सेवाओं में आनेवाले पहले कर्मचारियों को फिर से पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनने का मौका दे दिया है. आपको बता दें कि जनवरी 2004 के बाद जिन कर्मचारियों ने सरकारी सेवा में बहाली पाई है अब उनकी तरफ से आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया गया है. आपको बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से गठित कमिटी पर इन कर्मचारियों को भरोसा नहीं है और वह पुरानी पेंशन योजना को अपना हक मानते हैं.
बता दें कि पुरानी पेंशन योजना के तहत एक गारंटीड पेंशन की व्यवस्था कर्मचारियों के लिए थी जिसमें कर्मचारी चाहे राज्य सरकार की सेवा में कार्यरत हों या फिर केंद्र सरकार की सेवा में उन्हें अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता था. नई पेंशन व्यवस्था में ऐसा कुछ नहीं है इसमें सरकार और कर्मचारी दोनों अपनी तरफ से योगदान देते हैं और फिर पैसे को बाजार में लगाया जाता है. ऐसे में कर्मचारियों को पता भी नहीं होता कि उन्हें रिटायर होने के बाद कितनी रकम पेंशन के रूप में मिल पाएगी.
ऐसे में केंद्र सरकार अब पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के पक्ष में तो नहीं है लेकिन वह समीक्षा कर रही है कि कैसे नई पेंशन योजना में हीं कर्मचारियों को गारंटीड रकम पेंशन के रूप में मिल सके. अगर ऐसा संभव हो पाया तो नई पेंशन योजना में ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल पाएगा. हां इसमें सरकार के ऊपर पड़ने वाले वित्त बोझ से सरकार बच जाएगी. क्योंकि इसमें अंशदान के आधार पर ही पेंशन की व्यवस्था रहेगी. ऐसे में सरकार अपनी तरफ से कर्मचारियों के खाते में डाले जाने वाले कंट्रीब्यूशन की रकम को भी बढ़ाने पर विचार कर सकती है. केंद्र सरकार इसके लिए आंध्र प्रदेश सरकार के पेंशन मॉडल की भी समीक्षा कर रही है जिसमें कर्मचारियों को एक निश्चित रकम यानी अंतिम वेतन का 33 प्रतिशत पेंशन के रूप में भुगतान प्रतिमाह किया जाता है.