अपनी बदहाली पर रो रहा शहीद रामगोंविद सिंह का दशरथा गांव, विकास के नाम सिर्फ हो रही 'लूट'
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अपनी बदहाली पर रो रहा शहीद रामगोंविद सिंह का दशरथा गांव, विकास के नाम सिर्फ हो रही 'लूट'


राज्य सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दशरथा गांव तक पहुंचाने का निर्देश दे रखा है. फिर भी गांव में तो नगर निगम की चहलकदमी कहीं दिखाई नहीं देती है. 

अपनी बदहाली पर रो रहा शहीद रामगोंविद सिंह का दशरथा गांव (प्रतीकात्मक फोटो)

Patna:11 अगस्त, 1942 वो दिन था, जब देश को आजादी दिलाने की धुन में डूबे 7 युवाओं के सिर पर पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराने का जुनून सवार हुआ. ये सभी स्कूल के छात्र थे. एक बार जब तिरंगा फहराने की जिद ठानी तो फिर सीने पर ताबड़तोड़ गोलियों का प्रहार भी बेअसर हो गया. अंग्रेजी पुलिस की गोलियां धांय-धांय चलती रही और ये क्रांतिवारी एक-एक कर शहीद होते चले गए, लेकिन ये गोलियां भी इनकी राह नहीं रोक सकी. 

एक योद्धा गिरता तो दूसरा तिरंगा थाम लेता. एक-एक कर सातों नौजवान क्रांतिकारियों ने आजादी की राह में अमर बलिदान दे दिया, लेकिन जुनून सचिवालय पर तिरंगा फहराकर ही पूरा हुआ. देश के इन्ही सपूतों में शामिल थे, पटना के दशरथा गांव के रामगोंविद सिंह. जिन्होंने सात शहीदों की इस श्रृंखला में दूसरे नंबर पर तिरंगा थामा था. अंग्रेजी सेना की गोली से छलनी होकर वो भी जमीन पर गिर गए, लेकिन तिरंगे को झुकने नहीं दिया. 

इन शहीदों का बस एक सपना था कि देश अंग्रेजों की दासतां से मुक्त हो और देशवासी खुली हवा में सांस ले सकें. उन्होंने ये सपना भी देखा था कि जब देश आजाद होगा तो भारत में विकास की नयी बयार बहेगी. देश की खूब तरक्की होगी. 

विकास का सपना है अधूरा 
  
शहीद रामगोविंद सिंह का गांव दशरथा विकास के बुनियादी सोच से भी कोसों दूर है. कहने को तो यह राजधानी पटना का एक गांव है, लेकिन गांव में घुसते ही आपको ऐसा लगेगा कि यहां विकास का कभी दीदार ही नहीं हुआ. गांव में ना तो सड़क है, ना ही गंदे पानी के निकास का इंतजाम. 

इसके अलावा यहां कई जगह खतरनाक गड्ढे भी है, जो लगातार मौत को दावत देते हैं. इस गांव में सरकार की कोई भी बड़ी योजना अभी तक नहीं पहुंची हैं. 

विकास की हर गुहार है बेकार

राज्य सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दशरथा गांव तक पहुंचाने का निर्देश दे रखा है. फिर भी गांव में तो नगर निगम की चहलकदमी कहीं नहीं दिखाई देती और न ही किसी अन्य विभाग काम धरातल पर दिखाई देता है. 

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 70 फीट सड़क को एनएच 30 से जोड़ने के नाम पर नगर निगम ने सड़क को 6 महीने से तोड़कर छोड़ दिया है. जिसको लेकर कोई भी विभाग सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं. मानसून शुरू होने के बाद लोगों को फिर से जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ेगा. 

जलभराव की समस्या से हैं परेशान

मानसून के समय गांव की सड़को में हर तरफ पानी भर जाता है. जिस वजह से लोगों को इससे गुजकर जाना पड़ता है. सड़क निर्माण न होने की वजह से फिर से ऐसे ही हालात होने की आशंका है. इसके बाद भी गांववालों की उम्मीद है कि आने वाले समय में अधिकारी गांव की हालात को देखेंगे और यहां विकास की लहर आएगी.

 

 

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