प्ले स्कूल में तब्दील हुआ पटना का IGIMS अस्पताल, भावुक हुए अभिभावक, खिल उठे बच्चे
Advertisement

प्ले स्कूल में तब्दील हुआ पटना का IGIMS अस्पताल, भावुक हुए अभिभावक, खिल उठे बच्चे

Bihar Samachar: मनीष मंडल ने कहा कि अस्पताल के माहौल में बच्चे चिड़चिड़े और डिप्रशन के शिकार हो जाते हैं. इसी व्यवहार को देखते हुए उन्होंने शिशू वार्ड को कार्टूनों से भरने और रंगबिरंगा करने का निर्णय लिया.

प्ले स्कूल में तब्दील हुआ पटना का IGIMS अस्पताल.

Patna: अक्सर सरकारी अस्पताल अपनी बदहाली, लचर व्यवस्था, बदइंतजामी और अन्य समस्याओं की वजह से सुरखियों में बने रहते हैं. सरकारी अस्पताल के नाम पर ही लोग परेशान हो जाते हैं. वहीं, जब बच्चों के इलाज की बात आती है तो लोग कर्ज लेकर भी बच्चों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में कराना ज्यादा मुनासिब समझते हैं क्योंकि गंदगी, इंफेक्शन के डर से लोग बच्चों के मामले में कोई रिस्क नहीं लेना चहाते. वहीं, आम आदमी के इस भ्रम को पटना के IGIMS के शिशू वार्ड ने बदल दिया है. यहां इलाजरत बच्चे अस्पताल के इंतजाम की वजह से सारे दर्द भूल जा रहे हैं और हंसी खूशी घर वापस लौट रहे हैं.

IGIMS ने सरकारी अस्पताल का भ्रम तोड़ा
सरकारी अस्पतालों का नाम जैसे ही जेहन में आता है, वैसे ही लोगों के दिमाग में गंदगी, बदइंतजामी, लापरवाही और अन्य सारे नकारात्मक अनुभवों की तस्वीरें उभरने लगती हैं, जो इलाज के दौरान आम आदमी सरकारी अस्पलातों में झेलता है. लेकिन आम आदमी की इस अनुभूति को पटना के IGIMS अस्पताल ने बदल दिया है. यहां 60 वार्ड के शिशू वार्ड में जब आप कदम रखेंगे तो आपको अहसास ही नहीं होगा कि आप अस्पताल में हैं. आपको लगेगा कि आप किसी प्ले स्कूल में हैं.

सुपरीटेंडेंट डॉ मनीष मंडल के आइडिया ने बदली सूरत
दरअसल, बच्चों के वार्ड को इतने क्रिएटिव तरीके से तब्दील किए जाने का सारा श्रेय IGIMS के सुपरीटेंडेंट मनीष मंडल को जाता है. जो अपनी पत्नी के साथ किसी प्ले स्कूल गए और कोरोना (Coronavirus) की थर्ड वेव, जिसमें बच्चों के संक्रमित होने के मद्देनजर उन्हें ये आईडिया आया. मनीष मंडल ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका ज्यादा है, जिसकी तैयारी में अस्पताल प्रबंधन जुटा हुआ है. अस्पताल के माहौल में बच्चे चिड़चिड़े और डिप्रशन के शिकार हो जाते हैं. इसी व्यवहार को देखते हुए उन्होंने शिशू वार्ड को कार्टूनों से भरने और रंगबिरंगा करने का निर्णय लिया. अलग-अलग थीम का उद्देश्य है कि बच्चों को परिवार, कल्चर, विज्ञान, मिथिला पेंटिंग सभी सामाजिक महत्वों को जानने और समझने का मौका मिले. 

ये भी पढ़ें- बदइंतजामी से जूझ रहे हैं बिहार के अस्पताल, आग लगी की घटना से हो सकता है बड़ा हादसा

अस्पताल की पहल की मां और बच्चों ने की तारीफ
इधर, अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर मनीष मंडल की इस पहल को बच्चों की मां और अभिभावकों ने भी खूब सराहा है. इसे लेकर एक महिला तो इतनी भावुक हो गई कि वह रोने लगीं. यहां तक की बच्चों ने भी अस्पलात प्रबंधन के इस कदम की तारीफ की है. मनीष मंडल ने बताया कि शिशू वार्ड को ऐसे कन्वर्ट करने में सारा खर्च एक निजी संस्थान ने वहन किया है. उनका कहना है कि बड़े लोगों के इलाज में भी वो कुछ ऐसी ही सकारात्मक पहल करने वाले हैं ताकि इलाज के दौरान लोग रिलैक्स रह सकें.

Trending news