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Bihar cabinet: नीतीश कुमार की हर सरकार में ये 5 नेता बनते हैं मंत्री? जानें क्यों

Bihar cabinet: नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को अपनी सरकार का पूर्ण कैबिनेट विस्तार किया. इस विस्तार में 21 मंत्री शामिल हैं, जिनमें से 9 मंत्री पहले से ही थे. अब बिहार में कुल 30 मंत्री हैं, जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. नीतीश कुमार के कैबिनेट में कई नए चेहरे भी हैं, लेकिन 5 मंत्री ऐसे हैं जो पिछले 10 साल से ही उनकी हर कैबिनेट में रहे हैं. चाहे सरकार किसी भी दल के साथ बनी हो, यह विस्तार हो गया है.

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नीतीश कुमार ने जब दूसरी बार बिहार की गद्दी संभाली थी तब से बिजेंद्र यादव उनके साथ जुड़े हुए है.नीतीश कुमार ने जब 28 मंत्रियों के साथ अपने कैबिनेट को बढ़ाया तो इस कैबिनेट में बिजेंद्र यादव को भी मंत्री बनाया गया और उन्हें उर्जा विभाग का दायित्व मिला. उसके बाद सुपौल से विधायक बिजेंद्र यादव नीतीश कुमार की हर कैबिनेट में मंत्री बने, चाहे सरकार किसी की भी साथ हो. वे बिहार सरकार में वित्त, उर्जा, जल संसाधन और योजना जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. बिजेंद्र ने 1990 में पहली बार राजनीति में कदम रखा और सुपौल से विधायक बने. उन्होंने 8 बार लोकसभा चुनाव जीते हैं और जेडीयू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 2014 में नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिजेंद्र ने मुख्यमंत्री की पद के लिए दावेदारी दी, लेकिन नीतीश ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया.

 

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सरायरंजन विधायक विजय कुमार चौधरी 2010 के बाद से नीतीश कुमार के कैबिनेट से जुड़े हुए है. 2010 में नीतीश कुमार ने उन्हें पहली बार मंत्री बनाया था और तब से हर सरकार में वे उच्च पदों पर रहे हैं. 2015 में उन्हें विधानसभा का स्पीकर बनाया गया था, लेकिन उसके बाद जब उनसे यह पद छीना गया, तो नीतीश कुमार ने उन्हें फिर से मंत्री बनाया. विजय चौधरी ने बिहार सरकार में शिक्षा, वित्त, संसदीय कार्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों का काम किया है. हाल ही में उन्होंने जेडीयू और बीजेपी के बीच नई डील में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वे कांग्रेस से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले हैं और 2005 में नीतीश के साथ जुड़े थे. 2010 में उन्हें बिहार जेडीयू का प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया था.

 

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अशोक चौधरी 2015 के बाद से नीतीश कुमार की हर सरकार में मंत्री रहे हैं. उन्हें नीतीश कुमार के काफी करीबी माना जाता है. वे इस बार भी जेडीयू-बीजेपी की नई सरकार में शामिल हुए हैं. पहले लोगों की यह भ्रांति थी कि चौधरी जमुई से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन शुक्रवार को नीतीश कुमार ने उनको कैबिनेट में ही शामिल किया. 2015 में उन्हें कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाया गया था. 2017 में नीतीश के बीजेपी के साथ जाने के बाद चौधरी भी कांग्रेस छोड़ जेडीयू में शामिल हो गए. बिहार सरकार में उन्होंने शिक्षा, भवन निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभागों का काम किया है. उनके पिता महावीर चौधरी भी बिहार के जाने माने नेता रहे हैं. अशोक ने सियासी करियर की शुरुआत 2000 में की थी और विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन बाद में वे कभी चुनाव नहीं जीत पाए. 2009 में उन्होंने जमुई से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी जमानत जब्त हो चुकी है.

 

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श्रवण कुमार जो जेडीयू के संकटमोचक के रूप में मशहूर हैं, फिर से नीतीश कुमार के कैबिनेट में मंत्री बनाए गए हैं. उन्होंने 2010 में विधानसभा के सचेतक के रूप में सुर्खियों में आना शुरू किया था. 2014 में जब नीतीश कुमार ने कुर्सी जीतन राम मांझी को सौंपी थी, तो उन्हें मंत्री बनाया गया था. उसके बाद से वे हर सरकार में मंत्री बने रहे हैं. 2015 में मांझी के बगावत के समय सभी मंत्रियों को उनके आवास में ही रखा गया था. कहा जाता है कि श्रवण के मैनेजमेंट की वजह से ही नीतीश कुमार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे. उन्हें नीतीश का भरोसेमंद माना जाता है और इसकी दो मुख्य वजहें हैं. पहली वजह, श्रवण नीतीश के गृह जिले नालंदा से हैं और दूसरी, श्रवण भी नीतीश कुमार की तरह सजातीय (कुर्मी) हैं. राजनीति की बात करें तो, श्रवण कुमार जेपी मूवमेंट से उपजे नेता हैं. 1995 में पहली बार विधायक बने और तब से लगातार विधायक पद पर हैं.

 

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पांचवी बार जब नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो तब मदन सहनी को उनकी कैबिनेट में शामिल किया गया. सहनी को उस समय खाद्य और आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके बाद से सहनी हर बार नीतीश के कैबिनेट में मंत्री बन रहे हैं. उन्हें शुक्रवार को भी जेडीयू कोटे से नीतीश के कैबिनेट में शामिल किया गया. सहनी ने बिहार सरकार में समाजिक कल्याण और खाद्य आपूर्ति जैसे विभागों की जिम्मेदारी संभाली है. वे दरभंगा जिले के गौराबौड़ाम सीट से विधायक हैं और समाजिक समीकरण को उनके मंत्री बनाए जाने की वजह माना जाता है.