PMCH ने खोजा तीसरी लहर को रोकने का तरीका, जानें कैसे एक बूंद खून से Corona के 6 स्टेज का चलेगा पता
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar905468

PMCH ने खोजा तीसरी लहर को रोकने का तरीका, जानें कैसे एक बूंद खून से Corona के 6 स्टेज का चलेगा पता

Bihar News: बिहार के डॉक्टर एसएन सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर को देश में आने से रोकने का बेहतरीन उपाय मिल गया है.

 

पीएमसीएच ने कोरोना की तीसरी लहर को रोकने का तरीका बताया है

Patna: PMCH के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के HOD डॉ. एसएन सिंह ने देश को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने का तरीका तलाश किया है. रिसर्च के आधार पर उनका दावा है कि रैपिड एंटीजन और रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट को एक साथ करने से कोरोना की तीसरी लहर देश में नहीं आ सकती है. उसे समय से रोका जा सकता है.

डॉ. सिंह का दावा है कि इस मॉडल से कोरोना के 6 स्टेज का पता चलेगा। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस मॉडल के 5 फायदे भी गिनाए हैं. साथ ही पूरे देश में इसे लागू करने की अपील की है. उन्होंने पहले खुद, फिर पत्नी पर रिसर्च किया. इसके बाद करीब 100 लोगों पर रिसर्च के बाद वे तीसरी लहर को रोकने का दावा कर रहे हैं.

पहले खुद पर फिर पत्नी पर किया रिसर्च
एचओडी डॉ. एसएन सिंह ने पीएम के अलावा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव और नीति अयोग के सदस्य वीके पॉल को भी पत्र लिखा है. उन्होंने रिसर्च की शुरुआत सबसे पहले खुद पर ही की. एक सप्ताह, दो सप्ताह और तीन सप्ताह तक एंटीबॉडी जांच करते गए. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी पर जांच को लेकर शोध किया.
परिवार के अन्य सदस्यों पर शोध करते-करते 100 लोगों की जांच की. इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली और वह मॉडल मिल गया, जिस पर चाइना और साउथ कोरिया भी काम कर चुका है. डॉ. एसएन सिंह बिहार के काफी चर्चित और प्रतिष्ठित शोधकर्ता हैं. वे अब तक कई शोध कर चुके हैं.

कैसे किया रिसर्च
डॉ. एसएन सिंह ने एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट के साथ एलाइजा IGM का टेस्ट किया. इस बड़े शोध में पाया कि दोनों टेस्ट की संयुक्त पहचान 90 से 100 प्रतिशत तक रही, जो RT-PCR जांच से लगभग 50 गुणा अधिक रही. जिन लोगों का दोनों टेस्ट नेगेटिव आया. उस पर फिर से एलाइजा IGM टेस्ट कराया. एक- एक कर किए गए 100 लोगों पर शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ.
फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि अगर एंटीजन टेस्ट और एंटीबॉडी टेस्ट को संयुक्त रूप से स्क्रीनिंग टेस्ट में इस्तेमाल किया जाए तो देश का करोड़ों रुपए बचेगा. साथ ही काफी तेजी से जांच हो जाएगी। मरीज का इलाज और आइसोलेशन भी उतनी ही तेजी से हो सकेगा. इससे RT-PCR की जांच रिपोर्ट के लिए होने वाला लंबा इंतजार और इससे फैलने वाले संक्रमण पर रोक लग जाएगा.

रैपिड एंटीबॉडी का ऐसे आ जाएगा रिजल्ट
टेस्ट कार्ड में M और G एंटीबॉडी की लाइन दिखाई पड़ती है, जिसकी गिनती बड़ी आसानी से की जा सकती है. यदि हल्की M लाइन दिखती है तो 7 दिनों के आसपास का कोरोना है. इसके अलावा, गाढ़ी M लाइन दिखी तो कोरोना एक से दो सप्ताह के बीच का है. वहीं, गाढ़ी M लाइन और हल्की G लाइन दिखी तो कोरोना दो से तीन सप्ताह का है. साथ ही गाढ़ी M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 3 से 4 सप्ताह का है. अगर हल्की M लाइन और गाढ़ी G लाइन आई तो 4 से 6 वीक का कोरोना है. केवल गाढ़ी G लाइन आई तो कोरोना 6 वीक के बाद का है जो एंटीबॉडी के रूप में है. यह एंटीबॉडी 6 से 9 महीने तक रह सकती है. यह पोस्ट कोरोना का संकेत होगा. 

ये भी पढ़ें- बिहार में कोरोना पर कंट्रोल! राज्य में पिछले 24 घंटे में मिले 4375 नए मामले

जांच के नए मॉडल का PM को बताया 5 फायदा
PM नरेंद्र मोदी को भेजे गए रजिस्टर्ड पत्र और ईमेल में लिखा है कि ऐसे ही मॉडल से चाइना और साउथ कोरिया के साथ दुनिया के कई देश कोरोना पर काबू पा चुके हैं. उन्होंने PM को भेजे पत्र में बताया है कि रैपिड एंटीजन टेस्ट और रैपिट एंटीबॉडी टेस्ट दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. दोनों टेस्ट का एक साथ स्क्रीनिंग टेस्ट शुरू करने से देश को 5 बड़े फायदे होंगे.

Trending news