कहते हैं केंद्र की सत्ता का रास्ता बिहार और यूपी से होकर जाता है. ऐसे में यूपी की तरह ही बिहार भी सियासी तौर पर बहुत महत्वपूर्ण राज्य है. अभी बिहार की सियासत में एक अलग ही दौर चल रहा है.
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पटना : कहते हैं केंद्र की सत्ता का रास्ता बिहार और यूपी से होकर जाता है. ऐसे में यूपी की तरह ही बिहार भी सियासी तौर पर बहुत महत्वपूर्ण राज्य है. अभी बिहार की सियासत में एक अलग ही दौर चल रहा है. जदयू महागठबंधन के साथ सरकार चला रही है और प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार से असंतुष्ट उनके खास लोग उनका साथ छोड़ किसी ना किसी तरह एनडीए से जुड़ने में लगे हुए हैं. बिहार भाजपा की तरफ से कई बार इस नई सरकार के गठन के बाद यह कहा गया कि अब नीतीश कुमार की एनडीए में नो एंट्री है. नीतीश कुमार खुद कह चुके हैं कि अब भाजपा के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता लेकिन सबको पता है कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता ना तो दोस्ती और ना ही दुश्मनी.
बिहार को लेकर भी अब ऐसे ही कयास लगाए जाने लगे हैं कि नीतीश और तेजस्वी का साथ अब लंबे समय का नहीं रहा है. नीतीश का एक बार फिर से भाजपा के साथ आने के कयास तेज हो गए हैं. इसके पीछे की कई वजहें हैं जिससे अब लगने लगा है कि तेजस्वी को बिहार की सत्ता का सुख ज्यादा दिन तक नहीं मिलने वाला है.
अपना 72वां जन्मदिन नीतीश 1 मार्च को मना रहे थे तो सबसे पहले पीएम मोदी ने ट्वीट कर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी. इसके साथ ही भाजपा नेताओं और भाजपा शासित प्रदेशों को मुख्यमंत्री भी इस सूची में शामिल हो गए. इस सब के बीच खास यह रहा है कि तेजस्वी यादव भले इस मामले में देरी कर गए लेकिन नीतीश ने सबको धन्यवाद कहा और इसमें उन्होंने कोई देरी नहीं की.
वैसे भी बिहार के महागठबंधन के सातों घटक दलों के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है. सीएम की कुर्सी को लेकर तो वैसे भी जदयू और राजद नेता आमने-सामने हैं. नीतीश पर तेजस्वी की ताजपोशी का दबाव बनाया जा रहा है. सबको पता है कि राजनीति में यूटर्न मारने में नीतिश कुमार माहिर हैं. ऐसे में यह कयास लगाया जाने लगा है कि नीतीश कभी भी भाजपा के साथ जा सकते हैं. हाल के दिनों में उनके बातचीत और हाव-भाव से भी यह साफ पता चलने लगा है.
इस कयास को ज्यादा हवा तब मिली जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन किया. अमित शाह ने उन्हें फोन कर बताया कि बिहार के राज्यपाल बदलने वाले हैं. साथ ही नीतीश कुमार को अमित शाह ने फोन पर जन्मदिन की बधाई भी दी. इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फोन पर अमित शाह को बधाई दी.
इसके साथ ही बिहार विधानसभा में गलवान में शहीद हुए जय किशोर सिंह के पिता की गिरफ्तारी का मामला गर्माया. भाजपा नेताओं ने नीतीश को घेरने की कोशिश की तो नीतीश ने सदन में कह दिया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फोन पर बताया था मुझे इस मामले की जानकारी है. इसके बाद सीएम ने इस मामले पर जांच के आदेश दिए थे.
तमिलनाडु में बिहारियों पर हो रहे हमले की घटना में भी भाजपा के साथ नीतीश कुमार खड़े हैं. वहीं नीतीश कुमार बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के पिता के श्राद्ध कर्म में शामिल होने भी पहुंचे थे. ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि क्या भाजपा और जदयू के रिश्ते फिर से सामान्य हो रहे हैं. दरअसल भाजपा को भी पता है कि लोकसभा का चुनाव जब-जब दोनों ने साथ लड़ा है उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. वहीं नीतीश के चेहरे पर बिहार में बड़ी संख्या में मतदाता वोट डालते हैं. वहीं भाजपा जदयू साथ आए तो इसका सियासी फायदा दोनों दलों को लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव में भी होगा.