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पुनपन:Pind Dan: 28 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है. ऐसे में पितृपक्ष के पहले दिन पटना जिले की पुनपुन नदी में स्नान और पिंडदान करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि गयाजी में पितरों का पिंडदान करने से पहले पुनपुन में पिंडदान करना जरूरी होता है. पुनपुन में पिंडदान करने के बाद ही गया में किए गए पिंडदान को संपन्न माना जाता है. पिंडदानी पुनपुन नदी में श्राद्ध करने के बाद हीं गया में पिंडदान करने के लिए रवाना होते हैं.
ऐसे में रेलवे ने पितृपक्ष मेला के दौरान यहां आने वाले यात्रियों की सुविधा को देखते हुए 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक पुनपुन घाट हॉल्ट पर आठ जोड़ी यानी 16 ट्रेनों का दो-दो मिनट तक का अस्थायी ठहराव दिया है. जिसके बाद यहां पिंडदान करने आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सहुलियत होगी. बता दें कि पुनपुन को पिंडदान का प्रथम द्वार भी कहा जाता है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान पुनपुन में लाखों लोगों की भीड़ जमा होती है.
मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री राम ने माता जानकी के साथ सबसे पहले पुनपुन घाट पर ही अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड का तर्पण किया था, इसलिए पुनपुन को पिंडदान का प्रथम द्वार भी कहा जाता है. इसके बाद ही भगवान राम ने गया के फल्गु नदी तट पर पूरे विधि-विधान से अपने पूर्वजों का तर्पण किया था. वैसे तो गया में पूरे साल पिडंदानी आते हैं, लेकिन पितृपक्ष माह में पिंडदान करने का अपना ही महत्व है. पितृपक्ष पखवारे में मुख्य तौर पर पांच तरह के कर्मकांड करने का विधान है. जिसमें 1, 3 ,7 और 17 दिन का पिडंदान होता है. त्रिपाक्षिक पिंडदान 17 दिन के पिडंदान को कहा जाता है.
इन ट्रेनों का अस्थायी ठहराव
18625/18626 पूर्णिया कोर्ट-हटिया-पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस
18623/18624 इसलामपुर-हटिया-इसलामपुर एक्सप्रेस
13243/13244 पटना-भभुआ रोड-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस
13347/13348 पटना-बरकाकाना-पटना पलामू एक्सप्रेस
13349/13350 सिंगरौली-पटना-सिंगरौली एक्सप्रेस
12365/12366 पटना-रांची-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस
13329/13330 पटना-धनबाद-पटना गंगा दामोदर एक्सप्रेस
14223/14224 राजगीर-वाराणसी-राजगीर बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस