Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्व पितृ अमावस्या के दिन आप सुबह 11 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक किसी भी समय अपने पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और दान कर सकते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद तर्पण और दान करने की परंपरा है, जिससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
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Sarva Pitru Amavasya 2024: सर्व पितृ अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है. इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है, खासकर उन पितरों को जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका श्राद्ध किसी वजह से पहले नहीं किया जा सका. हर साल यह तिथि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन पिंडदान और तर्पण के द्वारा पितरों को शांति और संतोष प्रदान करने की प्रथा है. इसलिए इसे 'सर्व पितृ अमावस्या' भी कहा जाता है.
आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस साल की सर्व पितृ अमावस्या खास है क्योंकि इसी दिन साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण भी पड़ेगा. इसलिए, लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस दिन श्राद्ध करना शुभ होगा. हिंदू धर्म में यह दिन बहुत पवित्र माना जाता है और इस दिन श्राद्ध, तर्पण और दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
सर्व पितृ अमावस्या कब है?
सर्व पितृ अमावस्या इस साल 2 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी. यह दिन 'महालय अमावस्या' और 'पितृ अमावस्या' के नाम से भी जाना जाता है. यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है, जिसमें लोग अपने पितरों के लिए श्रद्धा और आभार व्यक्त करते हैं.
शुभ मुहूर्त और तिथि
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर 2024 को सुबह 9:34 बजे शुरू होगी और 2 अक्टूबर 2024 को रात 12:18 बजे समाप्त होगी. पूजा और श्राद्ध का सही समय 2 अक्टूबर को रहेगा. तर्पण और पिंडदान का कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा. इसके बाद रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12:34 बजे से 1:34 बजे तक रहेगा.
सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का समय
इस दिन आप सुबह 11 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक किसी भी समय पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान और दान कर सकते हैं. पवित्र नदियों में स्नान करके तर्पण और दान करने की परंपरा भी है, जिससे पुण्य मिलता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
सर्व पितृ अमावस्या का महत्व
सर्व पितृ अमावस्या पर स्नान, दान, तर्पण और पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इससे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इस दिन किए गए दान से पितरों को संतोष मिलता है और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है.
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