Bihar Politics: दल राजद जातीय जनगणना को लेकर आक्रमक राजनीति कर रही है. वहीं, इसमें बीजेपी की सहयोगी JDU भी RJD का साथ देती नजर आ रही है.
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Patna: जातीय जनगणना को लेकर बिहार का सियासी पारा हर रोज चढ़ रहा है. इस मांग के साथ सीएम नीतीश (Nitish Kumar) ने पीएम को खत भी लिखा लेकिन उस खत का कोई जवाब नहीं आया है. वहीं, तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने इसे लेकर मुद्दा बना लिया है. उन्होंने इसे सीएम का अपमान बताते हुए बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा और कहा कि जाति की गिनती होनी चाहिए साथ ही आरक्षण का दायरा भी बढ़ना चाहिए.
इससे साफ है कि प्रमुख विपक्षी दल राजद जातीय जनगणना को लेकर आक्रमक राजनीति कर रही है. वहीं, इसमें बीजेपी की सहयोगी JDU भी RJD का साथ देती नजर आ रही है. बता दें कि तेजस्वी ने भी इस मुद्दे को लेकर PM को खत लिखा है और मांग की है कि एक बार देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए, जिससे समाज की सही तस्वीर निकलकर सामने आएगी. साथ ही तेजस्वी ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग की है.
वहीं, JDU भी RJD की मांग के साथ है. JDU सांसदों का प्रतिनिधि मंडल केंद्रीय गृहमंत्री से इस मुद्दे को लेकर मिल चुका है. पीएम मोदी (Narendra Modi) को सीएम नीतीश ने चिट्ठी भी लिखी. हालांकि, अभी तक इसका जवाब नहीं आया, ना ही पीएम ने मिलने का वक्त दिया है. जिसे RJD ने मुद्दा बना लिया है.
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इधर, इसे लेकर JDU के ललन पासवान का कहना है 'सदन से प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा गया, बकायदा सीएम ने मिलने का वक्त भी मांगा, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. अब इस मुद्दे पर फैसला पीएम को लेना है.'
जातीय जनगणना के मामले में बीजेपी (BJP) अपने गठबंधन दल जदयू के अलग राग अलापते हुए सामाजिक समरसता की दुहाई देती है. बीजेपी कोटे के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'सीएम नीतीश और पीएम मोदी को किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. बिहार में NDA की सरकार है और मजबूत है.'
दरअसल, 1931 में आखिरी बार जातीय जनगणना की जानकारी सामने आई. उसी को आधार बनाकर मंडल कमीशन की रिपोर्ट तैयार की गई. अब संभावना जताई जा रही है कि वर्तमान में पिछड़ों का आंकड़ा 1931 से कही ज्यादा है.
(इनपुट-आशुतोष चंद्रा/रीतेश मिश्रा)