Bihar Politics: बिहार में बीजेपी अब अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार (2 मार्च) इसका ऐलान भी कर दिया है. शाह के ऐलान से चिराग पासवान, पशुपति पारस और उपेंद्र कुशवाहा को तगड़ा झटका लगा है. जिसके बाद चिराग भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर चुके हैं. हालांकि, पशुपति पारस और उपेंद्र कुशवाहा की ओर से इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
इन सबके बीच एक बड़ा सवाल ये है कि महागठबंधन के सामने आखिर बीजेपी ने अकेले लड़ने का क्यों फैसला किया है? दरअसल, बीजेपी अब काफी दूर की सोच रही है. बिहार में बीजेपी अभी तक गठबंधन करके लड़ती रही है. इस गठबंधन में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा, जीतनराम मांझी की पार्टी हम के साथ चुनाव लड़ती रही है. इन क्षेत्रीय दलों ने अक्सर अपना फायदा देखते हुए गठबंधन तोड़ने में संकोच नहीं किया.
गठबंधन के बोझ में दबी रही बीजेपी
बिहार में बीजेपी हमेशा गठबंधन के बोझ के तले दबी रह गई. वहीं इसके इतर पड़ोसी राज्य यूपी में पार्टी का दबदबा बड़ी तेजी के साथ बढ़ा. यूपी में बीजेपी ने दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है. योगी मॉडल को पेश करके पार्टी अब बिहार में अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इसी के तहत सम्राट चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है और संकेत दिया कि अब नई टीम राज्य में आगे बढ़ेगी.
बिहार से पश्चिम बंगाल को संदेश
बिहार में यदि बीजेपी अकेले करिश्मा करने में कामयाब रहती है, तो इसका सीधा असर पश्चिम बंगाल में पड़ेगा. दरअसल, बंगाल में ममता बनर्जी को बीजेपी से कड़ी चुनौती मिल रही है. 2021 में हुए विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने को मिले प्रचंड समर्थन से बीजेपी काफी कमजोर हो चुकी है. पार्टी अब बंगाल के नेताओं को संदेश देना चाहती है किसी के आने-जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है.