Bihar Flood: नेपाल के पानी से बिहार में हर साल क्यों आता है जलप्रलय? जानें क्या है रोकने का उपाए
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Bihar Flood: नेपाल के पानी से बिहार में हर साल क्यों आता है जलप्रलय? जानें क्या है रोकने का उपाए

Bihar Flood: बिहार में नेपाल से आने वाला पानी हर साल भारी तबाही मचाता है. ऐसे में लोग हमेशा यही सवाल करते हैं कि क्या नेपाल के पानी को बिहार में आने रोका नहीं जा सकता है.

बिहार में बाढ़

पटना: एक ओर दक्षिण पश्चिम मानसून की देश से वापसी शुरू हो गई है, लेकिन पिछले दिनों उत्तर प्रदेश और बिहार सहित उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बारिश की वजह से कई इलाके बाढ़ में डूब गए हैं. इसमें ज्यादा नुकसान बिहार में हुआ है, जहां अब तक 19 जिलों में 12 लाख से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हो चुके हैं. राज्य के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में पश्चिमी चम्पारण, किशनगंज, सारण, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा और कटिहार हैं.

इसके अलावा उत्तरी बिहार में कुल आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा बाढ़ संभावित क्षेत्र में निवास करता है. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, उत्तरी बिहार के कुल क्षेत्रफल का 73.63 प्रतिशत बाढ़ संभावित है. कुल 38 में से 28 जिलों में हर साल मानसून के सीजन में बाढ़ आती है जिनमें 15 जिले गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं. भारत के अलावा पड़ोसी देश नेपाल भी बाढ़ से बदहाल है. दरअसल बिहार की बाढ़ में सबसे बड़ा योगदान कोसी नदी का है. कोसी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है. इसके बाद यह नदी नेपाल का बहुत बड़े हिस्से में बहती हुई बिहार से भारत में प्रवेश करती है. नेपाल के हिस्से में कोसी में पानी बढ़ने पर पहाड़ी देश भारत की ओर पानी छोड़ देता है.

बिहार में कोसी नदी में सात और सहायक नदियां मिलकर इसमें पानी के स्तर को कई गुना बढ़ा देती हैं. इसी वजह से राज्य में हर साल बाढ़ की वजह से भीषण तबाही मचती है. इसके अलावा नेपाल से उद्गम वाली कमला बलान, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक समेत कई और नदियां बिहार में आती हैं. बिहार के कई जिले नेपाल से सटे हुए हैं. इनमें सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी और किशनगंज शामिल हैं. चूंकि पहाड़ी देश होने की वजह से नेपाल भारतीय राज्यों से अधिक ऊंचाई पर स्थित है. इसकी वजह से यह सारा पानी भारत की ओर आकर तबाही मचाता है. जानकारों की मानें तो इस पानी को रोकने के लिए नेपाल में कोसी नदी पर डैम बनना चाहिए. इसको लेकर भारत नेपाल से कई बार मांग कर चुका है, लेकिन नेपाल सरकार की तरफ से सकारात्मक उत्तर न मिलने की वजह से यह नहीं हो सका है. नेपाल सरकार कोसी नदी पर बनने वाले इस डैम को लेकर पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंतित है.

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इसके अलावा हर साल मानसून के बाद बिहार में आने वाली बाढ़ का दूसरा सबसे बड़ा कारण गंगा नदी पर बने फरक्का बैराज को भी माना जाता है. इस बांध पर गंगा और उसकी अन्य सहायक नदियों के साथ बहकर आई गाद इकट्ठा हो जाती है. इसकी वजह से इलाके में बाढ़ का रौद्र रूप देखने को मिलता है.

इनपुट- आईएएनएस

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