पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुजफ्फरपुर से केदारनाथ तक साइकिल से यात्रा पर निकला युवक
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पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुजफ्फरपुर से केदारनाथ तक साइकिल से यात्रा पर निकला युवक

मैं अपने गांव से 1500 किलोमीटर की दूरी तय कर बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा पर जा रहे हैं. मैं 2020 में एक बार कार से ऋषिकेश गया वहीं पर पुलिस ने रोक दिया कि मोदी जी आ रहे हैं किसी को भी प्रवेश नहीं मिलेगा. जिस कारण वहां से मुझे बिना दर्शन किए ही लौटना पड़ा था.

पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर मुजफ्फरपुर से केदारनाथ तक साइकिल से यात्रा पर निकला युवक

कैमूर: पूरे देश में हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण आज खतरे में है. इन्हीं कटाई पर पूरी तरह रोक लग जाए इसको लेकर बारहवी पास एक युवक साइकिल यात्रा से केदारनाथ निकला और कहा कि मैं बाबा के पास जाकर उनसे आग्रह करूंगा कि जो पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वह रुक जाए और हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे. इसके लिए वह मुजफ्फरपुर से अकेले 1500 किलोमीटर की साइकिल यात्रा पर निकल पड़ा है. 

युवक 10 अप्रैल को ही मुजफ्फरपुर से निकला था और कैमूर जिला आज पहुंचा है. साइकिल यात्रा पर निकला सख्स मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर गांव का कुंदन आर्य बताया जा रहा. रास्ते में लोग भी उसके इस हौसले को देखकर मदद करते दिखे. उसने बताया जिस होटल पर मैं रुकता वहां बिना पैसे के मुझे लोग भोजन कराते थे. कुंदन आर्य ने जानकारी देते बताया मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर गांव का रहने वाला कुंदन आर्य हूं. मैं अपने गांव से 1500 किलोमीटर की दूरी तय कर बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा पर जा रहे हैं. मैं 2020 में एक बार कार से ऋषिकेश गया वहीं पर पुलिस ने रोक दिया कि मोदी जी आ रहे हैं किसी को भी प्रवेश नहीं मिलेगा. जिस कारण वहां से मुझे बिना दर्शन किए ही लौटना पड़ा था.

उसी समय मैंने ठान लिया कि जब भी मैं यहां दर्शन करने आऊंगा साइकिल से ही आऊंगा. लक्ष्य कुछ विशेष लेकर नहीं चले हैं बस थोड़ी सी लक्ष्य है कि जो पेड़ पौधे की अंधाधुंध कटाई हो रही है वह रुक जाए यही मांग को लेकर बाबा केदारनाथ दर्शन करने जा रहे हैं. पेड़ों की कटाई हो जाने से पशु पक्षी मर रहे हैं और बहुत तरह का नुकसान हो रहा है. मैं अपने घर से 10 जुलाई से ही निकला हूं 1 दिन में लगभग 50 से 55 किलोमीटर तक हम चलते हैं. रात में जहां भी सड़क किनारे लाइन होटल मिलता वहीं रुक जाते हैं. जहां भी हम रुकते हैं खाते हैं वे लोग हमसे पैसा नहीं लेते. मैं कहीं भी बाहर जाता था तो 2 दिन में ही अपने घर भाग आता था लेकिन जब से बाबा का ध्यान कर रहा हूं.

इनपुट- मुकुल जायसवाल

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