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Bihar Politics: अमित शाह पटना में रविवार को पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक के लिए पहुंचे थे तो लंबे अंतराल के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार से उनका सामना हुआ था. हालांकि दोनों इस आमने-सामने आने की स्थिति में सहज तो नहीं नजर आ रहे थे. बिहार में बैठक होनी थी तो लिहाजा नीतीश कुमार को इसमें अमित शाह के स्वागत के लिए आना ही था. लेकिन, वह जब अमित शाह का स्वागत कर रहे थे तो उनकी नजरें झुकी हुई थी. बैठक में नीतीश ने बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात शाह के सामने रखी और केंद्र सरकार इसे नवमी अनुसूची में जगह दे ऐसी मांग की वहीं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले इसकी भी मांग दोहराई. बैठक खत्म होते ही अमित शाह पटना में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से राजकीय अतिथिशाला में मिले और वहां उन्होंने पार्टी के तीन दर्जन से अधिक नेताओं को नीतीश-तेजस्वी की पार्टी से बिहार में भिड़ंत करने का मंत्र दे डाला.
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उन्होंने भाजपा के नेताओं से स्पष्ट कह दिया कि वह लगातार बिहार आते रहेंगे. इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों से शुरू कर दी जाए. उन्होंने सब से कह दिया कि वह क्षेत्र का दौरा तेज करें और केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं के बारे में लोगों को अवगत कराएं. इसके साथ ही उन योजनाओं का लाभ जिनको मिला है उनके जीवन में किस तरह के सकारात्मक बदलाव आए हैं इसके बारे में भी लोगों को बताएं.
इसके साथ ही उन्होंने नेताओं से साफ कहा कि बिहार में जातीय जनगणना की बात तब शुरू हुई जब भाजपा यहां नीतीश की पार्टी के साथ सरकार में थी. पार्टी ने इसका समर्थन भी किया. आरक्षण बढ़ाए जाने के बिल का भी भाजपा ने समर्थन किया और राज्यपाल से इसकी मंजूरी भी मिली, ऐसे में जनता के बीच जन प्रतिनिधि जनता को बताएं कि इसमें भाजपा की भूमिका अहम है और अगर सर्वे रिपोर्ट में किसी तरह की कमी या गड़बड़ी आई है तो यह सरकार की गलती है.
अमित शाह को यहां पार्टी के नेताओं की तरफ से बताया गया कि पार्टी राज्य में क्या-क्या कर रही है और आनेवाले दिनों में कैसे कार्यक्रमों का आयोजन प्रदेश में पार्टी की तरफ से किया जाएगा. मतलब साफ है कि नीतीश-तेजस्वी को बिहार में झटका देने के लिए जन-जन तक जनप्रतिनिधियों के पहुंच का मूलमंत्र देकर अमित शाह दिल्ली वापस लौट आए हैं.