Trending Photos
बिहार में लोकसभा की 40 सीटों को लेकर महागठबंधन, बीजेपी और असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) सभी ने पूरा जोर लगा दिया है. बीजेपी की ओर से तो केंद्रीय गृह मंत्री (Amit Shah Bihar Visit) छह महीने में चौथी बार 2 अप्रैल को एक बार फिर बिहार के दौरे पर जा रहे हैं. इस बार वे सम्राट अशोक की जयंती पर दोनों जगहों पर रैली करने वाले हैं. इससे पहले अमित शाह ने सीमांचल (Amit Shah Simanchal Visit), सिताब दियारा और वाल्मीकिनगर के अलावा पटना में सभा कर चुके हैं. दूसरी ओर, महागठबंधन ने भी सीमांचल से लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल फूंक दिया है. 25 फरवरी को जब अमित शाह वाल्मीकिनगर रैली को संबोधित कर रहे थे, तभी महागठबंधन के नेता पूर्णिया से ताल ठोक रहे थे. अब असदुद्दीन ओवैसी को लेकर भी खबरें आ रही हैं कि वे भी बिहार पर पैनी नजर गड़ाए हुए हैं और तगड़ी रणनीति के साथ उनकी पार्टी मैदान में उतरने जा रही है. अगर ओवैसी की रणनीति सटीक बैठती है तो यह महागठबंधन के लिए बुरी खबर होगी.
बिहार के नेताओं पर छाया पदयात्रा का जादू
बिहार के नेताओं में इन दिनों यात्राओं का क्रेज सिर चढ़कर बोल रहा है. सीएम नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा खत्म कर चुके हैं तो उनकी पार्टी से निकले उपेंद्र कुशवाहा यात्रा पर निकले हुए हैं. प्रशांत किशोर पहले से जनसुराज यात्रा कर रहे हैं तो नीतीश की पार्टी से ही निकले एक अन्य नेता आरसीपी सिंह भी अपनी अलग यात्रा पर चल रहे हैं. अभी बिहार से भारत जोड़ो यात्रा पार्ट 2 भी गुजरने वाली है. लगे हाथ असदुद्दीन ओवैसी ने भी एक यात्रा निकालने की सोची है. असदुद्दीन ओवैसी बिहार के सीमांचल में अधिकार पदयात्रा निकालने की सोच रहे हैं.
सीमांचल वालों को लुभाना है ओवैसी का मकसद
असदुद्दीन ओवैसी की यात्रा का मुख्य फोकस अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम वर्ग को लुभाना होगा. ओवैसी 18 और 19 मार्च को सीमांचल के दो बड़े शहरों में यात्रा की शुरुआत करेंगे. इस दौरान पार्टी के नेता आम लोगों से मुलाकात करेंगे और सीमांचल के मसलों को लेकर बात करेंगे. सीमांचल वो इलाका है, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस इलाके में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की पैठ है और यही महागठब्ंधन के लिए चिंता का विषय है. हालांकि ओवैसी की पार्टी के पांच में से चार विधायकों ने राजद का दामन थाम लिया था.
सीमांचल क्यों है महत्वपूर्ण?
सीमांचल में लोकसभा की 4 और विधानसभा की 24 सीटें हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में 4 में से जेडीयू को 2 और बीजेपी और कांग्रेस को एक एक सीट हासिल हुई थी. तेजस्वी यादव की चिंता यह है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी मजबूत होगी तो उनकी पार्टी अपने आप कमजोर हो जाएगी, क्योंकि उनका बेस वोट बैंक मुस्लिम और यादव हैं. मुसलमानों का जितना वोट ओवैसी की पार्टी को मिलेगा, राजद का वोट उतना ही कम होता जाएगा. गोपालगंज उपचुनाव की ही बात करें तो बीजेपी ने राजद को महज 1794 वोटों से हराया था और इस उपचुनाव में ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी अब्दुल सलाम को 12 हजार से ज्यादा वोट हासिल हुए थे. अगर ओवैसी की पार्टी चुनाव नहीं लड़ती तो ये 12 हजार वोट सीधे राजद के खाते में जाते और उसके प्रत्याशी की जीत हो जाती. इसलिए महागठबंधन के नेताओं ने एक बार फिर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को बीजेपी की बी टीम बोलना शुरू कर दिया है.