Bihar Politics: सियासी फिल्म के रिलीज होने से पहले ही इसका क्लाइमेक्स लीक हो गया है. मतलब नीतीश कुमार के एनडीए में जाने की संभावना और ललन सिंह का इस्तीफा दोनों बातें नहीं घटित होने वाली हैं. अब सवाल ये उठता है कि जब कुछ भी होना नहीं था तो ये पूरा ड्रामा रचा क्यों गया?
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Bihar Politics: जेडीयू में मची उथल-पुथल के बीच आज यानी शुक्रवार (29 दिसंबर) को राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक होने वाली है. बैठक से पहले जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के इस्तीफे की अटकलें लगाई जा रही हैं. कहा तो ये भी जा रहा है कि ललन सिंह पार्टी भी तोड़ सकते हैं. इस पूरे ड्रामे का आज बैठक के बाद पटाक्षेप हो जाएगा. आसान शब्दों में कहें तो बिहार की सियासी फिल्म आज रिलीज हो जाएगी. यह फिल्म हिट होगी या फ्लॉप, ये तो भविष्य पर निर्भर है लेकिन फिल्म के ट्रेलर ने काफी रोमांचित किया है. जरा फिल्म के ट्रेलर पर एक नजर डालिए.
पहला सीन- इंडी गठबंधन की दिल्ली बैठक में सीएम नीतीश कुमार को पूरी तरह से इग्नोर किया गया. इसके बाद नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें आईं. बैठक के तुरंत बाद जेडीयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला ली.
दूसरा सीन- मुख्यमंत्री की नाराजगी से महागठबंधन के सहयोगियों में खलबली मच गई. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तुरंत नीतीश कुमार को फोन किया और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव मिलने पहुंचे.
तीसरा सीन- नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच नाराजगी की खबरें सामने आईं. ललन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया. उधर जेडीयू में टूट की खबरों ने भी हलचल बढ़ा दी. जेडीयू के पोस्टरों से ललन सिंह को गायब कर दिया गया.
चौथा सीन- गुरुवार (28 दिसंबर) की शाम को दिल्ली में नीतीश कुमार और ललन सिंह के बीच बंद कमरे में एक बैठक हुई. 'सीक्रेट मीटिंग' के बाद दोनों नेता एक साथ बाहर निकले और एक ही कार में बैठकर पार्टी ऑफिस पहुंचे.
सियासी फिल्म का क्लाइमेक्स लीक!
सियासी फिल्म के रिलीज होने से पहले ही इसका क्लाइमेक्स लीक हो गया है. मतलब ललन सिंह के इस्तीफे की पटकथा मीडिया में लीक हो गई. मीडिया का ध्यान इससे हटाने के लिए नीतीश कुमार और जेडीयू के तमाम नेता लगातार इसको अफवाह बताते रहे. लेकिन शुक्रवार (29 दिसंबर) को पार्टी बैठक में ललन सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और नीतीश कुमार को अगला अध्यक्ष चुन लिया गया है. अब 2024 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. ललन सिंह की ओर से कहा गया कि लोकसभा चुनाव लड़ने के कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है. उन्होंने कहा कि वो लोकसभा चुनाव लड़ने में व्यस्त रहेंगे, लिहाजा अध्यक्ष पद छोड़ दिया है.
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BJP से दोस्ती की उम्मीद नहीं
दूसरी ओर नीतीश कुमार के फिर से पलटी मारने की संभावना भी नहीं के बराबर है. ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं. दरअसल, पार्टी ने आज यानी 29 दिसंबर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है और इस बैठक में अपने दो सांसदों को नहीं बुलाया है. जेडीयू की ओर से जिन दो नेताओं को नहीं बुलाया गया है उनमें एक राज्यसभा सांसद है और एक लोकसभा सांसद. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जेडीयू के राज्यसभा सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को पार्टी ने इस बैठक के लिए न्योता नहीं भेजा है. हरिवंश के अलावा सीतामढ़ी से लोकसभा सांसद सुनील कुमार पिंटू को भी इस बैठक में नहीं बुलाया गया है. दोनों पर ही बीजेपी के करीबी होने के आरोप लगते रहे हैं.
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इसलिए रचा ये पूरा ड्रामा!
अब सवाल ये उठता है कि जब कुछ भी होना नहीं था तो ये पूरा ड्रामा रचा क्यों गया? इसका जवाब है- प्रेशर पॉलिटिक्स. दरअसल, प्रेशर पॉलिटिक्स के नीतीश कुमार प्रिंसिपल माने जाते हैं. वे अपनी कुर्सी को सलामत रखने और गठबंधन में दबदबा कायम करने के लिए अक्सर इस हथियार का इस्तेमाल करते हैं. कमाल की बात ये है कि नीतीश कुमार का ये तीर कभी फेल नहीं होता. इंडी गठबंधन की दिल्ली बैठक के बाद बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच सीट बंटवारे की बात चल रही थी. इसमें नीतीश कुमार ने राजद के बराबर सीटों की डिमांड रखी थी. जानकारी के मुताबिक, नीतीश ने जेडीयू और आरजेडी को 17-17 सीटों और बाकी बची 6 सीटों में 5 कांग्रेस और 1 सीट वाम दल को देने का प्रस्ताव रखा था. सीटों को लेकर ही नीतीश कुमार ने इतना बड़ा ड्रामा रच दिया है.