Bihar News: बिहार में मस्जिद-मदरसों पर क्यों चिपकाया जा रहा QR Code? जानें क्या है माजरा
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Bihar News: बिहार में मस्जिद-मदरसों पर क्यों चिपकाया जा रहा QR Code? जानें क्या है माजरा

Bihar News: क्यूआर कोड स्कैन अभियान में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी लगी हुई है. इस क्यूआर कोड को स्कैन करके मुस्लिम समाज के लोग इस खास किस्म के क्यूआर कोड (QR Code) को स्कैन कर वक्फ बोर्ड बिल पर अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Bihar News: बिहार में मस्जिदों और मदरसों में इन दिनों एक अलग ही वाकया देखने को मिल रहा है. प्रदेश की मस्जिद-मदरसों में क्यू आर कोड लगा दिए गए हैं. सीमांचल इलाके की मस्जिदों में यह ज्यादा देखने को मिल रहा है. दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने जब से लोकसभा में वक्फ संसोधन पेश किया है, तभी से बिहार में ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है. बिहार के कटिहार जिले में मुस्लिम समुदाय के लोग एक QR कोड स्कैन करके संसदीय समिति के पास अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं. मुस्लिम समाज के कई लोगों ने इन QR कोड को मस्जिदों के दीवारों पर चिपकाकर लोगों को स्कैन कर बिल का विरोध करने के लिए कहा है. मुस्लिम समाज के लोग इस खास किस्म के क्यूआर कोड (QR Code) को स्कैन कर संसदीय समिति के पास अपनी आपत्ति दर्ज करवा रहे हैं.

जानकारी के मुताबिक, मस्जिदों और मदरसों के मौलानाओं की ओर से लोगों को यह कहकर डराया रहा है कि वक्फ बोर्ड को मोदी सरकार खत्म करने जा रही है. ऐसा होने पर मदरसे छिन जाएंगे, कब्रिस्तान छिन जाएंगे, प्रॉपर्टी छिन जाएंगी. इसी वजह से लोग अपनी क्यूआर कोड को स्कैन करके अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे हैं. क्यूआर कोड स्कैन अभियान में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी लगी हुई है. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान का कहना है कि अगर यह कानून पास हो गया तो मुसलमानों के पास शव दफनाने के लिए कब्रिस्तान भी नहीं बचेगी. साथ ही वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के बाद हजारों मस्जिद टूट जाएगी.

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वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के विरोध में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल ने बेंगलुरू में बैठक की थी. इसमें देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन का प्रस्ताव पारित किया गया था. इसी के तहत क्यूआर कोड के जरिए अपनी आपत्ति जताने का तरीका निकाला गया है. वैसे अभी ये बिल जेपीसी के पास भेजा गया है. जहां इस बिल पर चर्चा करके और जरूरी बदलावों के बाद वापस सरकार के पास भेजा जाएगा. इसके बाद बिल फिर से संसद में पेश होगा और फिर से इस पर चर्चा होगी. लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास जाएगा और महामहिम के हस्ताक्षर के बाद कानून का रूप ले लेगा.

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