कांग्रेस ने विपक्षी एकता का टेंडर भले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार को दे दिया है और वे उसे अमलीजामा पहनाने के लिए दिन-रात एक भी किए हुए हैं. पश्चिम बंगाल में ममत बनर्जी, यूपी में अखिलेश यादव और झारखंड में हेमंत सोरेन से उनकी या तो उनके पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह की बातचीत हो चुकी है.
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पटना: कांग्रेस ने विपक्षी एकता का टेंडर भले ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार को दे दिया है और वे उसे अमलीजामा पहनाने के लिए दिन-रात एक भी किए हुए हैं. पश्चिम बंगाल में ममत बनर्जी, यूपी में अखिलेश यादव और झारखंड में हेमंत सोरेन से उनकी या तो उनके पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह की बातचीत हो चुकी है. 9 मई को उनका ओडिशा जाने का प्रोग्राम है और 11 मई को वे मुंबई का दौरा करने वाले हैं, जहां वे उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मिलने वाले हैं. इस बीच कांग्रेस से ही ऐसी आवाज उठी है, जिसमें बताया गया है कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता संदिग्ध है और उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता. यह आवाज उठाने वाले कोई और नहीं, बल्कि प्रियंका गांधी और सचिन पायलट के नजदीकी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं.
प्रमोद कृष्णम ने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, क्षेत्रीय दल पीएम मोदी को टक्कर नहीं दे सकते. वे भारतीय जनता पार्टी को बाहर नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, जब राज्य का चुनाव होता है तो जनता राज्य के हिसाब से और देश का चुनाव होता है तो जनता देश के हिसाब से सोचती है. इस हिसाब से पीएम नरेंद्र मोदी के सामने किसी क्षेत्रीय दल का नेता आगे आए तो यह ठीक नहीं रहेगा. इससे शिकस्त मिलनी तय है.
नीतीश कुमार के विपक्षी एकता के प्रयास को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में आचार्य कृष्णम बोले, नीतीश कुमार वरिष्ठ राजनेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनकी एक भूमिका रही है पर उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है. वे कभी पीएम मोदी के साथ रहे तो कभी लालू प्रसाद यादव के साथ. उन्होंने कहा कि अगर किसी क्षेत्रीय दल के नेता को पीएम मोदी के सामने खड़ा किया जाएगा तो हर क्षेत्रीय दल चाहेगा कि उनका नेता पीएम मोदी सामने उम्मीदवार बनकर डटे.
प्रमोद कृष्णम बोले, सपा चाहेगी कि अखिलेश यादव को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए. टीएमसी ममता बनर्जी के पक्ष में माहौल बनाएगी. इसी तरह सभी दल अपने-अपने नेता को लेकर उत्सुक होंगे. उनका यह हक भी बनता है. लेकिन विपक्षी दलों को यह समझ लेना चाहिए कि पार्टियां पीएम नहीं बनातीं. यह काम जनता का है. ऐसे में जो नीतीश कुमार का चेहरा उछाला जा रहा है, उनकी विश्वसनीयता पर सवाल है. वे बड़े नेता हैं पर लोगों को उन पर यकीन नहीं होगा. ऐसा व्यक्ति पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर कैसे दे पाएगा.
नीतीश कुमार के विपक्षी एकता को लेकर प्रमोद कृष्णम बोले, यह विपक्ष की बेवकूफी है. विपक्षी दलों को समझना चाहिए कि पीएम नरेंद्र मोदी लोकप्रिय नेता हैं. मुझे तो नरेंद्र मोदी के सामने केवल और केवल प्रियंका गांधी का चेहरा नजर आता है.
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