क्या जेडीयू के 11 विधायकों ने पटना में की थी सीक्रेट मीटिंग! भनक लगी तो नीतीश कुमार के कान खड़े हो गए
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क्या जेडीयू के 11 विधायकों ने पटना में की थी सीक्रेट मीटिंग! भनक लगी तो नीतीश कुमार के कान खड़े हो गए

Bihar Politics: खांटी राजनीतिज्ञ नीतीश कुमार को यह बखूबी पता है कि जेडीयू को राजद और भाजपा दोनों से खतरा है. दोनों दल जेडीयू की ओर ललचाई नजरों से देख रहे हैं. इसलिए नीतीश कुमार न केवल सक्रिय हुए हैं बल्कि एक कदम आगे जाकर पार्टी पदाधिकारियों, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद सभी की बैठक बुला ली है.

सीएम नीतीश कुमार (File Photo)

Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ऐसे ही सक्रिय नहीं हुए हैं. दरअसल, एक ऐसी खबर के बारे में पता चला है, जिससे नीतीश कुमार तो क्या, राजनीति को जानने वाले सभी लोगों के कान खड़े हो जाएंगे. सूत्रों के अनुसार, पटना में जेडीयू के 11 विधायकों की एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी और इस बैठक में पार्टी के एक वरिष्ठ मंत्री भी शामिल हुए थे. इस खबर के बारे में पता चलते ही नीतीश कुमार की सक्रियता देखते बन रही है. 29 दिसंबर को राष्ट्रीय परिषद की बैठक है लेकिन वे 28 दिसंबर की सुबह में ही दिल्ली पहुंच गए. दरअसल, नीतीश कुमार ये सारी कवायद पार्टी को बचाने के लिए कर रहे हैं. खांटी राजनीतिज्ञ नीतीश कुमार को यह बखूबी पता है कि जेडीयू को राजद और भाजपा दोनों से खतरा है. दोनों दल जेडीयू की ओर ललचाई नजरों से देख रहे हैं. इसलिए नीतीश कुमार न केवल सक्रिय हुए हैं बल्कि एक कदम आगे जाकर पार्टी पदाधिकारियों, राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद सभी की बैठक बुला ली है. हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि नीतीश कुमार का इन बैठकों के बाद अगला कदम क्या रहने वाला है. इसलिए आगे आगे देखिए... होता है क्या. 

2020 के विधानसभा चुनावों में जनता दल यूनाइटेड को महज 40 सीटों से संतोष करना पड़ा था. राष्ट्रीय जनता दल विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी तो भारतीय जनता दूसरे नंबर पर रही थी. जेडीयू की सीटें इतनी कम आईं कि राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी नंबर गेम में उससे दोगुने दिख रहे थे. लेकिन कम नंबर आने के बाद भी सत्ता की चाभी नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के पास ही रही और इसी कारण नीतीश कुमार पहले भाजपा के साथ फिर से मुख्यमंत्री बन गए और उसके बाद 2022 के सावन महीने में राजद के साथ गठबंधन करके मंत्रिमंडल चेंज कर लिया. भाजपा के मंत्रियों के बदले राजद के मंत्री शामिल हो गए. भाजपा के डिप्टी सीएम के बदले राजद के डिप्टी सीएम के रूप में तेजस्वी यादव ने शपथ ले ली. यही बात भाजपा और राजद दोनों को खलती आ रही है. 

भाजपा और राष्ट्रीय जनता दल दोनों को इस बात की टीस तो होगी ही कि नंबर में दोगुने होने के बाद भी मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार का एकाधिकार बना हुआ है. 80 विधायकों का साथ होने पर भी तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने हुए हैं. जबकि लालू प्रसाद की इच्छा है कि तेजस्वी यादव जल्द से जल्द मुख्यमंत्री पद को सुशोभित करें. वहीं भाजपा को भी इस बात का मलाल होगा कि इतने साल नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के बाद भी दोगुने नंबर होने पर भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपके हुए हैं. इसलिए चाहे वो तेजस्वी यादव की राजद हो या फिर भाजपा, मुख्यमंत्री पद की लिप्सा सभी दोनों को परेशान कर रही है. 

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इसलिए जब नीतीश कुमार राजद के साथ होते हैं तो भाजपा नेता जनता दल यूनाइटेड में टूटफूट का डर दिखाते रहते हैं और जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ होते हैं तो राजद के नेता यही काम करते हैं. इसलिए नीतीश कुमार को तो इस बात का इल्म जरूर है कि एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई, लेकिन दोनों में से किसी एक को पकड़े रहना उनकी भी मजबूरी है. जहां जेडीयू सत्ता से अलग हुई, उसमें भी तोड़फोड़ की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. कई राज्यों का उदाहरण देखकर तो ऐसा ही लगता है.

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