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Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एक साथ लाने के लिए 23 जून को पटना में बैठक होनी है. इससे पहले विपक्षी एकता को लेकर बॉलीवुड के सुपरस्टार और राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा चमत्कार होने वाला है. हालांकि यही दावा विपक्षी की हर पार्टी कर रही है लेकिन बिहार में ही महागठबंधन के 7 दल 40 सीटों पर कैसे बंटवारे को राजी होंगे इसी का फॉर्मूला उलझता नजर आ रहा है. हम के संयोजक और पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी तो पहले ही 5 सीटों की मांग कर एक सियासी शगुफा छोड़ चुके हैं. इस सब के बीच विपक्षी दलों के बीच भी आपसी कलह की स्थिति बनी हुई है. कांग्रेस अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली सरकार के खिलाफ लाए गए केंद्र के अध्यादेश में साथ देने नहीं आई तो ऐसे में केजरीवाल कैसे उनके साथ मंच साझा करेंगे. वैसे नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि भाजपा को हराने के लिए सभी समान विचारधारा वाले विपक्षी दल एक साथ आएंगे.
इस सब के बीच आपको बता दें कि बिहार में महागठबंधन का हिस्सा रहे हम के मुखिया जीतन राम मांझी को अभी तक इस बैठक में आने के लिए न्यौता ही नहीं मिला है. वहीं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने यह कहकर हंगामा खड़ा कर दिया कि बिहार की 40 सीटों पर बसपा अपने उम्मीदवार उतारेगी. इसके साथ ही आपको बता दें कि AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी भी बिहार में सीमांचल से बाहर निकलकर कई सीटों पर लड़ने का दावा कर चुके हैं.
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ऐसे में मायावती जिनको दलित नेता के रूप में खासी पहचना मिली है उनकी तरफ से विपक्षी दलों की बैठक को सीधे तौर पर ना बोल दिया गया है. बिहार में बसपा के प्रभारी अनिल सिंह ने साफ कहा की उनका पार्टी इस विपक्षी एकता की बैठक में शामिल नहीं होनेवाली है. उनकी पार्टी देश के 5 जिन राज्यों में चुनाव लड़ती है वहां अकेले दम पर चुनाव लड़ेगा.
अनिल सिंह ने साफ कहा कि विपक्षी एकता में तो विपक्ष के सभी दलों के नेता पीएम फेस के लिए अपन-अपने चेहरे आगे कर रहे हैं. बिहार में पार्टी की स्थिति मजबूत है. ऐसे में उन्होंने कहा कि बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी और विपक्षी एकता का क्या होगा वह कुछ दिन बाद आपको देखने को मिल जाएगा.
जीतन राम मांझी जो महागठबंधन के सहयोगी हैं ने दो दिन पहले ही साफ कर दिया है कि उन्हें इस बैठक के लिए निमंत्रण नहीं मिला है. ऐसे में जीतन राम मांझी जो बिहार में दलित चेहरा हैं उनका भी विपक्षी एका के साथ होना मुश्किल ही लग रहा है. वहीं एक और दलित पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी पहले से ही बिहार में भाजपा के साथ है. ऐसे में दलित वोट बैंक का इस तरह से खिसकना विपक्षी एकता की सेहत के लिए ठीक नहीं है.