नीतीश कुमार की ओर से बीजेपी के खिलाफ 1/1 उम्मीदवार उतारने के फाॅर्मूले की बड़ी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही जेडीयू के नेता इस फार्मूले के लिए नीतीश कुमार की तारीफ में कसीदे पढ़ते दिखाई देते हैं पर क्या आपको पता है कि इस फार्मूले के जनक कौन हैं.
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Nitish Kumar Formula: 23 जून को पटना के ज्ञान भवन में विपक्षी दलों का महासंगम होने जा रहा है. इस महासंगम में लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. मेजबान होने के नाते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ वन बाई वन उम्मीदवार उतारने की सलाह रखी है, जिस पर सभी विपक्षी दलों को एकमत होना है. अब इसका प्रारूप क्या होगा, क्या इस पर सहमति बनेगी, इस फार्मूले के लिए किसको ज्यादा कुर्बानी देनी होगी, इन सभी सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिल जाएंगे, लेकिन टीवी डिबेट्स में आजकल नीतीश कुमार की ओर से बीजेपी के खिलाफ 1/1 उम्मीदवार उतारने के फाॅर्मूले की बड़ी चर्चा हो रही है. इसके साथ ही जेडीयू के नेता इस फार्मूले के लिए नीतीश कुमार की तारीफ में कसीदे पढ़ते दिखाई देते हैं पर क्या आपको पता है कि इस फार्मूले के जनक कौन हैं?
सबसे पहले यह फार्मूला चुनावी विशेषज्ञ और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिया था. प्रशांत किशोर ने यह फार्मूला तब दिया था, जब पश्चिम बंगाल के चुनाव हो रहे थे. उसी समय प्रशांत किशोर ने टीवी चैनलों को दिए इंटरव्यू में कहा था कि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 38 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. इसका मतलब साफ है कि 62 फीसद लोगों की पसंद भाजपा नहीं थी लेकिन वो 62 प्रतिशत मत विपक्षी दलों में बंट गए थे और भाजपा प्रचंड बहुमत से जीतकर दोबारा सत्ता में आई थी.
प्रशांत किशोर ने कहा था, सामान्य भाषा में इसे कहें तो 100 लोग वोट देने गए और 38 लोगों ने बीजेपी को मत दिया और 62 लोगों ने अलग-अलग विपक्षी पार्टियों को वोट दिया. बहुमत के हिसाब से देखें तो 62 लोगों ने बीजेपी को वोट नहीं दिया. केवल 38 लोगों ने ही बीजेपी को वोट दिया. प्रशांत किशोर ने कहा था, जरूरत है इस बिखरे हुए वोटों को समेटने की यानी इकट्ठा करने की. पीके का यह भी कहना था कि हर चीज की दुनिया में काट है. अगर विपक्षी दल इकट्ठा हो जाएं तो यह संभव हो सकता है.
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आपको ध्यान होगा कि जब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस में व्यापक सुधार के लिए पे्रजेंटेशन दिया था, जिसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मौजूद थे, उसमें भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को 370 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और बाकी सीटें उन सहयोगी दलों के लिए छोड़ देना चाहिए, जो अपने राज्यों में मजबूत स्थिति में हैं. इससे कांग्रेस जहां मजबूत है, वहां तो जीत ही जाएगी और बाकी जगहों पर उसके सहयोगी मजबूत स्थिति में सामने होंगे. हालांकि कांग्रेस ने प्रशांत किशोर के प्रस्ताव को इग्नोर कर दिया था.
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प्रशांत किशोर ने यह भी कहा था, बीजेपी को हराने के लिए उत्तर और पश्चिम की 100 सीटें जीतना जरूरी है. अगर बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की करीब 200 सीटें भी आप जीत लें तब भी बीजेपी को आप नहीं हरा सकते. बीजेपी अपनी रणनीति के हिसाब से 50 ऑड सीटें जीतने में कामयाब हो जाएगी. बाकी की 350 सीटों पर बीजेपी क्लीन स्वीप कर रही है.