Bihar Politics: क्या जेडीयू तोड़ने और नीतीश कुमार के सर्वनाश की स्क्रिप्ट लिख रहे थे ललन सिंह?
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Bihar Politics: क्या जेडीयू तोड़ने और नीतीश कुमार के सर्वनाश की स्क्रिप्ट लिख रहे थे ललन सिंह?

Bihar Politics: ललन सिंह का चैप्टर नीतीश कुमार ने तभी क्लोज करने का फैसला ले लिया, जब ललन सिंह ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव नीतीश कुमार के सामने रखा था.

फाइल फोटो

पटना: Bihar Politics: ललन सिंह का चैप्टर नीतीश कुमार ने तभी क्लोज करने का फैसला ले लिया, जब ललन सिंह ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव नीतीश कुमार के सामने रखा था. ललन सिंह ने तब नीतीश कुमार के ही एक वरिष्ठ मंत्री के साथ मिलकर यह प्रस्ताव पेश किया था लेकिन नीतीश कुमार ने उसे खारिज कर दिया था. ललन सिंह ने बिहार में नीतीश कुमार के 18 साल राज करने का हवाला दिया लेकिन मुख्यमंत्री तैयार नहीं हुए. 

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जेडीयू को तोड़ने का ऐसा था ललन का प्लान!
फिर मीडिया सूत्रों की मानें तो ललन सिंह ने जेडीयू को तोड़ने का प्लान बनाना शुरू कर दिया. बताया जाता है कि नीतीश कुमार के उसी वरिष्ठ मंत्री की मौजूदगी में जेडीयू के 12 विधायकों की पटना में बैठक हुई थी, लेकिन नीतीश कुमार को इस बैठक की खबर लग गई. बताया जाता है कि ललन सिंह 10 से 12 विधायकों को साथ लेकर तेजस्वी यादव की ताजपोशी करवाने की फिराक में थे, लेकिन नीतीश कुमार को इस बात का पता चलते ही पूरा प्लान फ्लॉप हो गया.

ललन सिंह को क्या होता फायदा
ललन सिंह राज्यसभा जाना चाहते थे, क्योंकि चुनाव की सूरत में मुंगेर अब उनके लिए उतना मुफीद नहीं रहा. ललन सिंह मुंगेर में एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़े थे लेकिन इस बार जेडीयू और राजद एक साथ चुनाव में होंगी तो एनडीए प्रत्याशी से सीधा मुकाबला होता और ललन सिंह इसका सामना करना नहीं चाहते थे. इसलिए वे राज्यसभा जाना चाहते थे. कुछ समय बाद राजद नेता मनोज झा की सीट खाली हो रही है और ललन सिंह उसी सीट पर अपनी नजर गड़ाए हुए थे. प्लान के मुताबिक, ललन सिंह अगर जेडीयू के 12 विधायक तोड़ लाते तो विधानसभा में राजद के 79, कांग्रेस के 19, सीपीआईएमएल के 12, सीपीआई के 2, सीपीएम के 2 और निर्दलीय 1 मिलाकर सरकार बन जाती. जेडीयू के बिना इन विधायकों की संख्या 115 होती है और 12 या 10 विधायक आ जाते तो आराम से सरकार का गठन हो जाता. ललन सिंह इसी फिराक में लगे हुए थे.

12 विधायक तो अयोग्य घोषित हो जाते

ललन सिंह जेडीयू के 12 विधायक तोड़कर लाते और तेजस्वी यादव की सरकार बन जाती लेकिन आपके मन में विचार आ रहा होगा कि ये विधायक तो अयोग्य घोषित हो जाते. एंटी डिफेक्शन लॉ कहता है कि दो तिहाई से कम विधायक अगर बागी होकर अलग गुट बनाते हैं या फिर किसी और दल में शामिल हो जाते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाती है. इससे बचने की ​भी फुलप्रूफ प्लानिंग कर ली गई थी. जेडीयू को तोड़ने के लिए कम से कम 30 विधायकों को तोड़ने की जरूरत होती. लेकिन इसकी तोड़ भी निकाल ली गई थी. एक नियम यह भी है कि बगावत की सूरत में राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर इन विधायकों को पार्टी से बाहर निकाल दे तो अयोग्यता का खतरा उनपर नहीं आता. राष्ट्रीय अध्यक्ष को तो यह पावर है कि वे बागी विधायकों को कभी भी बाहर का रास्ता दिखा दें. ऐसे में ये विधायक अयोग्य नहीं होते और तेजस्वी यादव आराम से बाकी कार्यकाल के लिए सरकार चलाते. ऐसे समय में स्पीकर की भूमिका बहुत अहम होती है. इसलिए बताया जा रहा है कि ललन सिंह पिछले दिनों से राजद विधायक और विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के संपर्क में थे.

नीतीश ने ऐसे शुरू किया ऑपरेशन ललन सिंह!
विधानसभा स्पीकर के साथ मिलकर यह प्लान बना था कि बगावत करने वाले करीब दर्जन भर विधायकों को मान्यता मिल जाता और तेजस्वी यादव की सरकार निर्बाध तरीके से चलती रहती. लेकिन तेजस्वी यादव का भाग्य ने तब 2017 में भी साथ नहीं दिया और न ही 2023 में ही. नीतीश कुमार को इस प्लान के बारे में पता चल गया. जिन दर्जन भर विधायकों ने पटना में गुप्त मीटिंग की थी, उनमें से एक विधायक ने नीतीश कुमार को यह खबर लीक कर दी और फिर नीतीश कुमार ने ऑपरेशन ललन सिंह शुरू कर दिया.

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