Lok Sabha Election 2024: झंझारपुर लोकसभा सीट जहां पिछड़ों और अति पिछड़ों के बीच घूमती रही राजनीति
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Lok Sabha Election 2024: झंझारपुर लोकसभा सीट जहां पिछड़ों और अति पिछड़ों के बीच घूमती रही राजनीति

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक तरफ सभी पार्टियों ने कमर कस ली है, वहीं नए गठबंधन को लेकर कवायद भी तेज हो गई है. इस सब के बीच बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर इस बार हर राजनीतिक दलों का फोकस है तो ऐसे में हम आज झंझारपुर लोकसभा सीट के बारे में जानेंगे.

(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक तरफ सभी पार्टियों ने कमर कस ली है, वहीं नए गठबंधन को लेकर कवायद भी तेज हो गई है. इस सब के बीच बिहार के 40 लोकसभा सीटों पर इस बार हर राजनीतिक दलों का फोकस है तो ऐसे में हम आज झंझारपुर लोकसभा सीट के बारे में जानेंगे. जहां आज तक पिछड़ों और अति पिछड़ों के बीच यहां की राजनीति घूमती रही. 

झंझारपुर लोकसभा सीटी की राजनीति बिहार के अन्य सीटों के मुकाबले एकदम अलग रही है. पहले यह मधुबनी के अंदर ही आता था लेकिन 1972 में यह लोकसभा सीट बना. यहां अब तक इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से 12 बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं. जिसमें से 10 बार इस सीट का प्रतिनिधित्व पिछड़े या अति पिछड़े वर्द के सांसद करते रहे हैं. 

यहां सारी राजनीतिक पार्टियां इसी समीकरण पर काम करती है और उन्हें इसके बदले ही सफलता हासिल होने का भान रहता है. इस सीट को पहली बार 1972 में बनने के बाद पंडित जगन्नाथ मिश्र ने जीता था उसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में यहां से डॉ गौरी शंकर राजहंस ने जीत दर्ज की. इन दोनों के अलाव इस सीट का प्रतिनिधित्व हमेशा से पिछड़े और अति पिछड़े सांसद ही करते रहे हैं. 

इस सीट पर देवेन्द्र प्रसाद जो यादव जाति से आते हैं लगातार जीत की हैट्रिक लगाई 1989 से 1998 तक वही इस सीट से सांसद रहे. वह यहां से जनता दल के टिकट पर लोकसभ पहुंचे थे. उन्होंने दोबारा 1999 और 2004 में इस सीट से जीत दर्ज की लेकिन तब वह राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. 

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यह सीट मोदी लहर में 2014 में भाजपा के हिस्से में आई. यहां से विरेंद्र चौधरी जीतकर संसद पहुंचे. 2019 में जब भाजपा और जदयू मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ रही थी तो बिहार की यह सीट जदयू के हिस्से में आई जहां से जदयू ने रामप्रीत मंडल को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने यहां जीत हासिल की. यह वही सीट है जिसके अस्तित्व में आने के बाद से केवल एक बार कांग्रेस 1984 में यहां से जीत दर्ज कर पाई है. 

झंझारपुर लोकसभा सीट में खजौली, बाबूबरही, राजनगर, झंझारपुर, फूलपरास और लौकहा  6 विधानसभा सीटें आती हैं. यह ब्राह्मण, यादव और अति पिछड़ा बहुल क्षेत्र है. जहां यादव 20 प्रतिशत वोटर हैं. वहीं ब्राह्मण भी 20 प्रतिशत के करीब हैं. जबकि अति पिछड़ा सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत, इसके साथ मुस्लिम मतदाता 15 प्रतिशत और बाकि अन्य जातियों का वोट प्रतिशत 10 है.  

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