बिहार के रास्ते केंद्र की सत्ता का रास्ता तलाश रहे विपक्ष के लिए कर्नाटक का चुनाव मानो बहुत कुछ कह रहा है. कांग्रेस इस समय विपक्षी एकता की नीतीश की मुहिम में उसके साथ है तो वहीं नीतीश के साथ कई और विपक्षी दल एक मंच पर आने को राजी हो गए हैं.
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Lok Sabha Election 2024: बिहार के रास्ते केंद्र की सत्ता का रास्ता तलाश रहे विपक्ष के लिए कर्नाटक का चुनाव मानो बहुत कुछ कह रहा है. कांग्रेस इस समय विपक्षी एकता की नीतीश की मुहिम में उसके साथ है तो वहीं नीतीश के साथ कई और विपक्षी दल एक मंच पर आने को राजी हो गए हैं. हालांकि क्या ऐसा संभव हो पाएगा यह तो भविष्य के गर्भ में है. क्योंकि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह की एक कोशिश विपक्ष की नाकामयाब हो चुकी है. ऐसे में अभी इस ने विपक्षी एकता को लेकर कुछ भी कहना उचित तो नहीं होगा क्योंकि हाल ही में नीतीश कुमार नवीन पटनायक से मिलकर आए और फिर पटनायक की पीएम मोदी से मुलाकात हुई और उसके बाद नवीन पटनायक ने यह घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी लोकसभा का चुनाव किसी गठबंधन में नहीं लड़ेगी. ऐसे में अब यह देखना जरूरी होगा कि आखिर बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव पर कर्नाटक या यूपी किसके चुनाव परिणाम का असर देखने को मिलेगा.
आपको बता दें कि अभी तक जो कांग्रेस बैकफुट पर खड़ी थी और राहुल गांधी की सांसदी जाने के बाद से पार्टी में जान फूंकने की जरूरत महसूस हो रही थी. उस कमी को कर्नाटक चुनाव के नतीजे ने पूरा कर दिया है. कांग्रेस इस परिणाम के बाद खासी उत्साहित नजर आ रही है. नीतीश कुमार के एक सीट एक उम्मीदवार के फॉर्मूले और सीटों का बंटवारा पार्टी की ताकत को जमीन पर आंककर करने की बात से अब वह कितना सहमत होगी यह देखना होगा. कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को 200 के करीब सीटों पर लड़ने देने का मन बना रही विपक्षी दलों के गठबंधन के लिए अब यह करना वैसे भी परेशानी भरा होगा.
अब देखना यह होगा कि आखिर कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों का ज्यादा असर लोकसभा चुनाव में बिहार की सीटों पर देखने को मिलेगा या फिर यूपी के निकाय चुनाव के नतीजे बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान सीटों पर हो रहे चुनाव पर प्रभाव डालेंगे. यह निश्चित तौर पर है कि बिहार के चुनाव में यूपी के निकाय चुनावों के परिणाम का असर ज्यादा देखने को मिलेगा. कर्नाटक विधानसभा में जहां कांग्रेस बहुमत के आंकड़े के करीब नजर आ रही है. वहीं यूपी निकाय चुनाव में भाजपा मजबूत स्थिति में है.
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कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के साथ यहां 28 लोकसभा की सीटें भी हैं. वहीं यूपी में 403 विधानसभा सीटों के साथ 80 लोकसभा की सीटें भी आती हैं. बता दें कि एक तरफ कांग्रेस कर्नाटक में विधानसभा में बहुमत के आंकड़े को पार कर रही है तो वहीं भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव में 255 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं बिहार के साथ यूपी की सीमा लगने के साथ यहां की राजनीति का मिजाज भी कुछ एक जैसा है. दोनों ही जगहों की राजनीति जाति के आधार पर एक जैसी ही है. ऊपर से हिंदी हार्टलैंड होने की वजह से भी यहां के मतदाताओं का मिजाज थोड़ा मिलता-जुलता रहा है. ऐसे में स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति पर कर्नाटक के चुनाव परिणामों से ज्यादा यूपी निकाय चुनाव के परिणामों का असर देखने को मिल सकता है.