Manipur Violence: चप्पे-चप्पे पर जवान, अमित शाह की मैराथन बैठक, जानें आखिर क्यों सुलग रहा मणिपुर?
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Manipur Violence: चप्पे-चप्पे पर जवान, अमित शाह की मैराथन बैठक, जानें आखिर क्यों सुलग रहा मणिपुर?

सेना के पहुंचने के बाद मोरेह और कांगपोकपी में तो स्थिति नियंत्रण में है लेकिन इंफाल और सीसीपुर अभी भी सुलग रहा है. एहतियात के तौर पर मणिपुर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती जारी रहेगी. 

मणिपुर हिंसा

Burning Manipur: देश का पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर इस वक्त सुलग रहा है. हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को केंद्र से सेना की मदद मांगनी पड़ी. केंद्र की ओर से तुरंत सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है. सेना के पहुंचने के बाद मोरेह और कांगपोकपी में तो स्थिति नियंत्रण में है लेकिन इंफाल और सीसीपुर अभी भी सुलग रहा है. एहतियात के तौर पर मणिपुर में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती जारी रहेगी. इसके अलावा अब पूरे प्रदेश में ब्रॉडबैंड सर्विस पर भी रोक लगा दी गई है. 

बिगड़ी स्थिति को देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक्‍शन मोड में हैं. बीते तीन दिनों से शाह लगातार बैठकें कर रहे हैं. गृहमंत्री ने मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के अलावा पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की है. इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव, निदेशक आईबी और राज्य के साथ-साथ केंद्र के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं. हालात को सामान्य करने के लिए सेना भेजने के आदेश दिए हैं. सेना के साथ बीएसएफ, सीआरपीएफ और असम राइफल्स की कई कंपनियों को राज्य में तैनात किया गया है. 

वायुसेना भी मदद में जुटी

इस काम में भारतीय वायुसेना की भी मदद ली जा रही है. अशांत इलाकों से लोगों को रेस्क्यू करने का काम जारी है. इन लोगों को सेना द्वारा बनाए गए अस्थायी कैंपों में रखा जा रहा है. अब तक राज्य के कई इलाकों में 7,500 से अधिक लोगों को सेना के शिविरों और सरकारी कार्यालयों में आश्रय दिया जा चुका है. स्थिति को देखते हुए गैर-आदिवासी बाहुल्य 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

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क्यों सुलग उठा मणिपुर? 

मणिपुर के कुल क्षेत्रफल का लगभग 89% हिस्सा पहाड़ी है. यहां तीन समुदाय के लोग रहते हैं- मैतई, नागा, और कुकी. इनमें मैतई हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं, वहीं अधिकतर नागा और कुकी ईसाई धर्म से संबंधित हैं. नागा और कुकी को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी समुदाय) का दर्जा मिला हुआ है, जबकि मैतई को अनुसूचित जाति (गैर-आदिवासी) का दर्जा प्राप्त है. विवाद की मूल वजह ये है कि मणिपुर के कानून के अनुसार सिर्फ आदिवासी समुदाय के ही लोग पहाड़ी इलाकों में घर बना सकते हैं. जिसके चलते मैतई समुदाय के लोग भी खुद को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. 

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