AAP ने कहा कि अगर देश को बचाना है तो सबसे पहले कांग्रेस को यह घोषणा करनी चाहिए कि वह तीसरी बार राहुल गांधी पर दांव नहीं लगाएगी और विपक्ष को मजबूर नहीं करेगी.
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AAP New Condition For Opposition Unity: पटना में विपक्ष की हुई बैठक का अब हिसाब-किताब लगाया जा रहा है. बैठक में शामिल हुए 15 में से 14 दलों के नेता इस बैठक को सफल बताने में लगे हैं, जबकि बीजेपी सहित अन्य विरोधी इसे असफल बता रहे हैं. सफलता और असफलता का पैमाना सिर्फ एक सवाल है- क्या इस बार विपक्ष एकजुट हो पाएगा? महाबैठक के बाद हर किसी के दिमाग में यही सवाल गूंज रहा है. अभी इसका सटीक उत्तर कोई नहीं दे सकता, ये भविष्य की गर्त में छिपा है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों के देखते हुए ये जरूर कहा जा सकता है कि विपक्षी एकजुटता बड़ी मुश्किल है. ये काम उतना ही मुश्किल है, जितना तराजू पर मेंढ़क तौलना.
दरअसल, नीतीश कुमार तकरीबन 6 महीने की मेहनत में 15 दलों के नेताओं को ही एक छत के नीचे एकजुट कर पाए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ 14 नेताओं ने हिस्सा लिया. इनमें भी ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को बीच में ही छोड़ दिया था. वहीं 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने इससे ज्यादा दलों के नेताओं को एक मंच पर खड़ा कर दिया था और सभी नेता एक-दूसरे का हाथ थामे नजर आए थे. अब पटना बैठक पर ही लौटते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो बैठक के बीच में ही कांग्रेस पर भड़क उठे थे. गुस्से में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा भी नहीं लिया था. वहीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी उस वक्त चली गईं, जब वामपंथी नेता अपनी बात कह रहे थे.
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बैठक के बाद ही आम आदमी पार्टी ने साफ कहा था कि अब वो उसी मीटिंग में हिस्सा लेगी, जिसमें कांग्रेस शामिल नहीं होगी. मतलब साफ है कि शिमला बैठक में यदि कांग्रेस नेता शामिल हुए तो केजरीवाल दिखाई नहीं देंगे. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने अब जो शर्त रखी है, उसे तो कांग्रेस पार्टी कभी स्वीकार नहीं करेगी. दरअसल, आप की ओर से शर्त रखी गई है कि अब विपक्षी एकता पर बात तभी होगी, जब कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को आगे करके चुनाव नहीं लड़ेगी.
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AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा है कि कांग्रेस को राहुल गांधी को तीसरी बार नेता के तौर पर प्रोजेक्ट नहीं करना चाहिए. आप प्रवक्ता ने कहा कि अगर देश को बचाना है तो सबसे पहले कांग्रेस को यह घोषणा करनी चाहिए कि वह तीसरी बार राहुल गांधी पर दांव नहीं लगाएगी और विपक्ष को मजबूर नहीं करेगी. देश के हित में, यह संविधान को बचाने से भी अधिक महत्वपूर्ण है. उधर ममत बनर्जी ने भी बैठक में साफ कहा था कि कांग्रेस यहां एकजुटता की बात कर रही है, जबकि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस नेता सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं. ऐसे एकता की बात नहीं होगी.