Rupauli By-Election Result: रुपौली में JDU-RJD की क्यों हुई हार? 5 प्वाइंट में जानें कारण
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Rupauli By-Election Result: रुपौली में JDU-RJD की क्यों हुई हार? 5 प्वाइंट में जानें कारण

Rupauli By-Election Result: पूर्णिया लोकसभा के बाद रुपौली विधानसभा में निर्दलीय की जीत से अब प्रदेश की दोनों पार्टियां (JDU-RJD) परेशान हैं. वहीं शंकर सिंह की जीत का विश्लेषण करने पर राजद-जेडीयू की हार के 5 बड़े कारण ये रहे.

Rupauli By-Election Result: रुपौली में JDU-RJD की क्यों हुई हार? 5 प्वाइंट में जानें कारण

Rupauli By-Election Result: बिहार की रुपौली विधानसभा में हुए उपचुनाव के परिणाम की अब समीक्षा होने में लगी है. यहां की जनता ने जेडीयू और राजद दोनों को नकार दिया और निर्दलीय को अपना विधायक चुना है. निर्दलीय शंकर सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी जेडीयू के कलाधर मंडल को 8,204 वोटों से हराया. वहीं राजद की बीमा भारती तीसरे नंबर पर रहीं. निर्दलीय प्रत्याशी की जीत से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी दोनों को करारा झटका लगा है. एनडीए की एकजुटता भी कलाधर मंडल को जिता नहीं सकी. वहीं बीमा भारती के लिए तेजस्वी यादव की मेहनत एकबार फिर से बेकार चली गई. इस बार तो पप्पू यादव भी बीमा भारती का समर्थन कर रहे थे. पूर्णिया लोकसभा के बाद रुपौली विधानसभा में निर्दलीय की जीत से अब प्रदेश की दोनों पार्टियां (JDU-RJD) परेशान हैं. वहीं शंकर सिंह की जीत का विश्लेषण करने पर राजद-जेडीयू की हार के 5 बड़े कारण ये रहे.

  1. रुपौली में निर्दलीय कैंडिडेट शंकर सिंह को जातीय समीकरणों का फायदा मिल गया. दरअसल, इस सीट पर सबसे ज्यादा अबादी गंगोता समाज की है. जेडीयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल और आरजेडी प्रत्याशी बीमा भारती दोनों गंगोता समाज से ही थे. वैसे तो इस समाज के लोग नीतीश कुमार को वोट करते थे, लेकिन इस चुनाव में गंगोता वोट में बंदरबाट हुआ. कहा जा रहा है कि 70 प्रतिशत जेडीयू को मिला तो 30% बीमा भारती को मिला है. वहीं सवर्ण समाज ने शंकर सिंह को वोट डाला. इससे उन्हें विधानसभा पहुंचने का मौका मिल गया.
  2. बीमा भारती की करारी शिकस्त के पीछे मुस्लिम समीकरण बताया जा रहा है. यहां 60 हजार के करीब मुस्लिम हैं. बताया जा रहा है कि बीमा भारती के पति अवधेश मंडल से अधिकांश मुस्लिम समाज का पहले से व्यक्तिगत विवाद रहा है. इस कारण से मुस्लिम वोटरों ने शंकर सिंह को अपना विकल्प चुना. हालांकि, तेजस्वी यादव के चुनाव प्रचार करने से बीमा भारती को तकरीबन 60 फीसदी मुस्लिम समाज का वोट मिला है.
  3. बीमा भारती के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी भी काफी देखने को मिली. वह 2005 से लगातार जेडीयू की टिकट पर जीत रही थीं. लेकिन इन 23 साल में उन्होंने क्षेत्र का कोई विकास नहीं किया. इस कारण से राजद कार्यकर्ता भी बीमा भारती का खुलकर समर्थन नहीं कर रहे थे. उन्होंने शंकर सिंह को अपना विकल्प चुना.
  4. जेडीयू को भी एंटी इनकंबेंसी का शिकार होना पड़ा. बीमा भारती भले ही आज राजद में हों, लेकिन इससे पहले वह जेडीयू से ही चुनाव जीतती रही हैं. उन पर आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद वह क्षेत्र में एक दिन भी नहीं आती थीं. उपचुनाव में जेडीयू को इसका खामियाजा उठाना पड़ा.
  5. एनडीए का कोर वोटर माना जाने वाला वैश्य समाज इस बार निर्दलीय शंकर सिंह के साथ चला गया. शंकर सिंह पहले से वैश्य समाज को सपोर्ट करते रहे हैं. यही वजह रही कि लगभग 50 प्रतिशत वैश्य समाज का वोट शंकर सिंह में टर्न अप हुआ है. साथ ही क्षेत्र में लगभग 40 से 45 प्रतिशत वोट अगड़ी जाति का है. इनमें ज्यादातर राजपूत, ब्राह्मण और कुछ भूमिहार हैं. माना जा रहा है कि 10 प्रतिशत छोड़ दिया जाए तो सभी वोट शंकर सिंह को गए हैं.

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