Sarath Assembly Seat: सारठ सीट पर पिछड़ों की है भरमार, लेकिन भूमिहार कैंडिडेट का रहता है दबदबा!
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Sarath Assembly Seat: सारठ सीट पर पिछड़ों की है भरमार, लेकिन भूमिहार कैंडिडेट का रहता है दबदबा!

Sarath Vidhan Sabha Seat: सारठ विधानसभा सीट का मुकाबला रणधीर सिंह और उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह के इर्द-गिर्द घूमता है. ये दोनों नेता भी दल-बदल करते रहते हैं और जीत हासिल करते हैं.

सारठ विधानसभा सीट

Sarath Assembly Seat Profile: सारठ विधानसभा क्षेत्र दुमका संसदीय क्षेत्र में आता है. सारठ में 20 नवंबर को दूसरे चरण के में वोट डाले जाएंगे. इस सीट के लिए आज (22 अक्टूबर) से अधिसूचना जारी हो गई है. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 29 अक्टूबर है. नामांकन पत्रों की जांच 30 अक्टूबर तो नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 1 नवंबर होगी. मतदान 20 नवंबर को होंगे और 23 नवंबर को रिजल्ट जारी होगा. यह ऐसी सीट है जहां पिछड़ी जातियों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन दबदबा भूमिहार कैंडिडेट का रहता है. 2014 से इस सीट पर रणधीर सिंह विधायक हैं.

रणधीर सिंह ने 2014 में जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीता और 2019 में पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया था. इस क्षेत्र में उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह का दबदबा साफ देखने को मिलता है. जेएमएम, जेवीएम या बीजेपी समेत सभी दलों के प्रत्याशियों का कभी न कभी पूर्व विधायक उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह से मुकाबला जरूर रहा है. 1985 से वर्ष 2000 तक वे लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं. हालांकि, इसके बाद उनकी किस्मत मानो सो गई और उन्हें जीत हासिल नहीं हुई. रणधीर सिंह ने 2014 का चुनाव जेवीएम की टिकट पर लड़ा था और उनके सामने बीजेपी से चुन्ना सिंह थे. उस चुनाव में चुन्ना सिंह को करीब 13 हजार से अधिक वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद रणधीर सिंह जेवीएम छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.

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बीजेपी ने उन्हें रिटर्न गिफ्ट देते हुए रघुवर दास की सरकार में कृषि मंत्री बनाया था. 2019 का चुनाव रणधीर सिंह ने बीजेपी से लड़ा तो चुन्ना सिंह जेवीएम की टिकट पर लड़े थे. इस चुनाव में भी चुन्ना सिंह को 29,000 मतों के अंतर से हार मिली थी. जेएमएम ने इस क्षेत्र में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता के बदले परिमल सिंह को मैदान में उतारा था. उन्हें महज 25 हजार मतों से ही संतोष करना पड़ा था. बता दें कि सारठ विधानसभा क्षेत्र में आबादी की बात करें तो सारठ में सबसे ज्यादा पिछड़ी जाति की संख्या है, जिसमें दलित मंडल और महतो की संख्या करीब 23 प्रतिशत है. इसके बाद मुस्लिम और आदिवासी की संख्या करीब बीस-बीस प्रतिशत है. वहीं, अगड़ी जाति में भूमिहार 10 प्रतिशत, राजपूत और ब्राह्मण की संख्या करीब 5-5 प्रतिशत है. इसके बाद भी इस सीट से ज्यादातर भूमिहार प्रत्याशी ही विधायक बनते हैं.

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