No-Confidence Motion: क्या है अविश्वास प्रस्ताव? मोदी सरकार के पास पूर्ण बहुमत फिर विपक्ष क्यों लेकर आया, जानें कारण
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No-Confidence Motion: क्या है अविश्वास प्रस्ताव? मोदी सरकार के पास पूर्ण बहुमत फिर विपक्ष क्यों लेकर आया, जानें कारण

संसद में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. अविश्वास प्रस्ताव के कारण दो बार तो सरकार तक गिर चुकी है. अविश्वास प्रस्ताव के कारण पहली बार 1978 में मोरार जी की सरकार और दूसरी बार 1998 में अटल जी की सरकार गिर गई थी. हालांकि, अभी संसद में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है.

विपक्ष लाएगा अविश्वास प्रस्ताव

No-Confidence Motion: मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) को लेकर संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session 2023) विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है. विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बयान की मांग कर रहा है. वहीं मोदी सरकार चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष (Opposition) की शर्तें उसे मंजूर नहीं हैं. इस बीच विपक्ष आज यानी बुधवार (26 जुलाई) को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लाने वाला है. बता दें कि संसद में अब तक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है. अविश्वास प्रस्ताव के कारण दो बार तो सरकार तक गिर चुकी है. अविश्वास प्रस्ताव के कारण पहली बार 1978 में मोरार जी की सरकार और दूसरी बार 1998 में अटल जी की सरकार गिर गई थी. हालांकि, अभी संसद में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब सरकार का कुछ बिगड़ ही नहीं सकता तो विपक्ष आखिर क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है? 

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?

अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लाने के कई कारण हो सकते हैं. सबसे प्रमुख तब होता है, जब लोकसभा में विपक्ष के किसी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है. अविश्वास प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है. सदन का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है. सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है और कम से कम 50 (सांसद) सदस्यों को प्रस्ताव स्वीकार करना होता है. इसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय करते हैं. अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद सत्ताधारी पार्टी को साबित करना होता है कि उनके पास बहुमत है. अगर बहुमत साबित नहीं हो पाता है तो सरकार गिर जाती है. राज्यसभा के सांसद वोटिंग प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते.

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संसद में विपक्ष की ताकत?

बीजेपी को 2019 लोकसभा चुनाव में कुल 301 सीटें मिली थीं. वहीं उसके सहयोगी दलों को मिलाकर एनडीए की संख्या 333 है. वहीं विपक्ष गठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल दलों के पास लगभग 150 सांसद हैं. जबकि वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी, भारत राष्ट्र समिति जैसे कई अन्य दलों का आंकड़ा 60 से अधिक सदस्य है और वे इन दोनों खेमों से बाहर हैं. लोकसभा में विपक्षी दलों की ताकत को आंकड़ों के हिसाब से देखें तो ये संख्या काफी कम नजर आती है. इनमें भी सबसे बड़ा विपक्षी दल कांग्रेस है, जिसके कुल 50 सांसद हैं. इसके अलावा कुछ ही दल ऐसे हैं, जिनके 10 से ज्यादा लोकसभा सांसद हैं. 

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विपक्ष क्यों ला रहा अविश्वास प्रस्ताव?

सवाल ये है कि संख्याबल के हिसाब से विपक्ष की हार तय है, इसके बावजूद विपक्ष यह कदम क्यों उठा रहा है? दरअसल, विपक्ष चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में आएं और मणिपुर हिंसा पर अपना बयान दें. वहीं बीजेपी भी इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहती हैं, लेकिन उसे विपक्ष की शर्तें नहीं मंजूर हैं. इसी कारण से विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है. दरअसल, अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री का संसद में होना जरूरी होता है. इस दौरान विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश करेगा. वहीं प्रधानमंत्री को भी अपना जवाब देना पड़ेगा. 

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