Women Reservation Bill: नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में मोदी सरकार ने नारी शक्ति के सपनों को नई उड़ान दी है और महिला आरक्षण विधेयक भी उसी दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होने जा रहा है.
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पटना: Women Reservation Bill: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने आज महिला आरक्षण को लेकर बड़ी बात कही है. उन्होंने कहा कि देश के नए संसद भवन में सदन की कार्रवाई के पहले दिन महिला आरक्षण से जुड़ा ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनयम विधेयक’ लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अमृतकाल का भारत एक नए पड़ाव की तरफ बढ़ चुका है. इस विधेयक के सदन से पारित होने के बाद महिला सशक्तीकरण और प्रतिनिधित्व से जुड़े दशकों से लंबित विषय का समाधान होगा. इससे लोकसभा तथा दिल्ली समेत राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण संभव होगा. इसमें एससी-एसटी कोटे के अंतर्गत भी 33% आरक्षण का प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण को लेकर कांग्रेस और उसके घमंडिया गठबंधन के साथी दलों की नीयत कभी साफ़ नहीं रही. उनके लिए यह मात्र चुनावी वोट बैंक का साधन मात्र रही है. उन्होंने इसे दशकों तक अटकाए रखा. जब-जब यह विधेयक सदन में आया राष्ट्रीय जनता दल, जेडीयू, एनसीपी तथा सपा जैसे दलों ने खुलकर इसका विरोध किया. लालू प्रसाद यादव और सपा के नेता महिला आरक्षण के बिल के खिलाफ जहर उगलते थे. लालू यादव ने तो महिला आरक्षण बिल को गंभीर खतरा और राजनीतिक भूल ही बता दिया था. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी की सोच ये थी कि छोटे बाल वाली महिलाएं विधायिका पर हावी हो जाएंगी. ऐसी विकृत मानसिकता से भरी हुई राजद-जदयू जैसी महिला विरोधी पार्टियां कभी भी नारी उत्थान नहीं कर सकती है.
नित्यानंद राय ने आगे कहा कि दशकों से महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करने वाले कांग्रेस सहित तमाम घमंडिया दल अब ये झूठ फैलाने में जुट गए हैं कि "यह बिल हमारा है". जबकि, बिल तो अभी आया भी नहीं था. लेकिन, इस घमंडिया गठबंधन के शरद पवार की एनसीपी से लेकर समाजवादी पार्टी तक सभी ने खुलकर महिला आरक्षण और महिलाओं के सामाजिक विकास का सर्वदा ही जमकर विरोध किया है. सच्चाई तो ये है कि 1998 में अटल बिहारी वाजपेई की एनडीए सरकार ने महिला आरक्षण बिल पेश किया था और उस समय इन घमंडिया दलों ने इसका कड़ा विरोध किया था. लेकिन, हमेशा की तरह आज भी कांग्रेस सरीखे दलों की हमेशा खुद की झूठी तारीफ और पीठ थपथपाने की आदत गई नहीं है.