Purnia News: 11 साल से अधूरा पड़ा है पूर्णिया जिले के अमौर का खाड़ी पुल, नाव के सहारे ग्रामीण सफर करने को मजबूर
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Purnia News: 11 साल से अधूरा पड़ा है पूर्णिया जिले के अमौर का खाड़ी पुल, नाव के सहारे ग्रामीण सफर करने को मजबूर

Purnia News: बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड के लोग गुलामी की जिंदगी जी रहे है. ग्रामीण आज भी जान हथेली पर रखकर नाव के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. जबकि कई बार नाव दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं.

पूर्णिया जिले के अमौर का खाड़ी पुल

पूर्णियाः Purnia News: देश की आजादी के 77 साल बाद भी बिहार के पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड के लोग गुलामी की जिंदगी जी रहे है. ग्रामीण आज भी जान हथेली पर रखकर नाव के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं. जबकि कई बार नाव दुर्घटनाग्रस्त हो चुकी हैं. इसके बावजूद भी प्रशासन कुंभकर्णी निद्रा में सोती हुई. हम बात कर रहे है सीमांचल के पूर्णिया जिले के अमौर प्रखंड के खाड़ी घाट पुल की. जहां हजारों लोग आज भी जान हथेली पर रखकर नदी पार करते है.

ग्रामीणों के द्वारा आंदोलन के बाद वर्ष 2013 में कनकई नदी के खाड़ी घाट पर करोड़ों की लागत से ग्यारह स्पेन का पुल का निर्माण कार्य आरंभ तो किया गया, लेकिन ग्यारह वर्ष बीत जाने के बाबजूद पुल निर्माण का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. जिसके चलते अमौर और बैसा प्रखंड के कई पंचायत के लोगों को प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव के सहारे कनकई नदी पार करनी पड़ती है.

सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को बरसात के मौसम में उठानी पड़ती है. क्योंकि बरसात के मौसम में नदी में पानी भर जाने के कारण आवागमन पूर्ण रूप से बाधित हो जाता है. नदी के बढ़ते जलस्तर के बीच लोग जान हथेली पर रख कर सफ़र करते हैं। कई बार नाव पर लोगों की इतनी भीड़ हो जाती है कि नाव पलटने का खतरा बना रहता है. जबकि खाड़ी घाट पर पुल बन जाने से किशनगंज और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले से सीधा संपर्क हो जाएगा.

ग्रामीणों ने बताया कि जब खाड़ी पुल बनाने का कार्य शुरू हुआ था तो लोगों को उम्मीद जगी थी कि पुल बनाने से उनलोगों की परेशानी अब दूर हो जायेगी. लेकिन ग्रामीणों का सपना साकार नहीं हुआ. ग्रामीणों ने आगे बताया कि खाड़ी घाट में पुल नही बनने पर छात्र छात्राओं के साथ साथ बीमार मरीजों को भी अस्पताल ले जाने में काफी परेशानी होती है. पुल नहीं होने से खाने पीने की सामानों की कीमतें भी दोगुनी कीमतों पर खरीदना पड़ रहा है.

वहीं स्थानीय विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि मैं पिछले तीन वर्षों से पुल निर्माण को लेकर प्रयासरत हुं. उन्होंने कहा कि सरकार तीन बार बदलने और विभाग के अधिकारी की पांच बार ट्रांसफर पोस्टिंग हो जाने से पुल निर्माण की मांग अधूरा पड़ा हैं. उन्होंने कहा कि चीफ इंजीनियर ने उन्हें पत्र के माध्यम से जानकारी दी है कि नए सरकार के कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिलने के लिए भेजा गया है. मंजूरी मिलते ही काम आरंभ कर दिया जायेगा.

अख्तरुल ईमान ने बिहार सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते बिहार सरकार इस पुल निर्माण को मंजूरी नही देती है तो बिहार सरकार के सीमांचल के साथ साथ यहां के दलितों और अल्पसंख्यक को के साथ नाइंसाफी की लड़ाई लड़ी जायेगी.
इनपुट- अमित कुमार सिंह 

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