चतरा: अब भी बिजली की रोशनी के लिए तरस रहे हेरुम गांव के लोग, 3 माह से सोलर बिजली की आपूर्ति ठप
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चतरा: अब भी बिजली की रोशनी के लिए तरस रहे हेरुम गांव के लोग, 3 माह से सोलर बिजली की आपूर्ति ठप

Chatra News: चतरा जिला के लावालौंग प्रखंड के हेरुम गांव में लोग अब भी बिजली की रोशनी के लिए तरस रहे हैं.

 

हेरुम गांव में अब भी बिजली का इंतजार (सांकेतिक फोटो)

Chatra: केंद्र व राज्य सरकार भले ही हर घर में बिजली पहुंचाने का दावा कर रही हो लेकिन चतरा जिला के लावालौंग प्रखंड (Lawalong Block) के हेरुम गांव में लोग अब भी बिजली की रोशनी के लिए तरस रहे हैं. हालांकि, गांव में सरकार के द्वारा जरेडा कम्पनी के द्वारा सोलर के माध्यम से बिजली आपूर्ति व्यवस्था की गई थी लेकिन पिछले 3 महीनों से सोलर आधारित बिजली की आपूर्ति ठप है.

इस गांव के लोग अधिकारियों के का चक्कर लगाते-लगाते परेशान हैं लेकिन उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है. गांव के बच्चे स्कूली शिक्षा से तो दूर हैं, बिजली की व्यवस्था नहीं होने के कारण शाम की पढ़ाई से महरूम हो जाते हैं.  

यह गांव चतरा जिला मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर है.  इस गांव में वर्ष 2019 में सोलर आधारित बिजली आपूर्ति की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई थी. गौरतलब है कि लावालौंग प्रखंड क्षेत्र वन्य प्राणी क्षेत्र के रूप में रूप में जाना जाता है इसीलिए बिजली की आपूर्ति नहीं की जा सकती है.

ऐसे में सरकार ने गांव के लोगों को बिजली देने के लिए गांव-गांव में सोलर पार्क की स्थापना की थी जिससे गांव में के लोगों में बिजली की आस जगी थी. लेकिन पिछले 3 महीनों से बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से ठप है. ग्रामीणों का सुनने वाला कोई नहीं है. हेरुम गांव के कामाख्या सिंह भोक्ता कहते हैं कि स्थानीय बीडीओ से लेकर जिला स्तर के अधिकारी तक से भी गुहार लगाए हैं लेकिन इन पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

दूसरी ओर सोलर पार्क का ऑपरेटर भी कुछ भी बताने से इंकार कर रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश और अंधेरी रात के कारण लोग जंगली जीव जंतु के शिकार हो जाते हैं. कामाख्या सिंह भोक्ता का कहना है कि बिजली आपूर्ति ठप होने से स्कूल के बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित है. दूसरी तरफ छठू सिंह भोक्ता का कहना है कि पहले तो बिजली की आपूर्ति नहीं थे,लेकिन सोलर आधारित बिजली आपूर्ति होने से ग्रामीणों में एक नया उत्साह था. लेकिन पिछले 3 महीने से गांव में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप हो चुका है.

उसने बताया कि मिट्टी केरोसिन तेल तकरीबन 100 रुपये लीटर मिलता है और ऐसे में गरीब लोग मिट्टी तेल खरीद कर अपने घरों को रोशन नहीं कर पाते हैं और यही वजह है कि गांव के लोग सांप-बिछा का ही शिकार हो रहे हैं. गांव की महिलाओं का कहना है कि घरों में रोशनी नहीं होने के कारण काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बच्चों का पठन-पाठन भी ठप है. सरकार से हम लोग कई बार मांग कर चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

(इनपुट-यादवेंद्र सिंह)

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