झारखंड: गांवों में भी Corona ने दी दस्तक, कहीं झाड़-फूंक तो कहीं झोला छाप Doctor के भरोसे जिंदगी
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झारखंड: गांवों में भी Corona ने दी दस्तक, कहीं झाड़-फूंक तो कहीं झोला छाप Doctor के भरोसे जिंदगी

Coronavirus In Jharkhand: कोरोना की दूसरी वेब ने झारखंड के गांवों का रास्ता भी देख लिया और शहरों के साथ-साथ गांव में भी कोरोना फैलने लगा है. 

 

झारखंड में गांव-गांव में पहुंचा कोरोना वायरस संक्रमण

Ranchi: झारखंड की आबादी (Jharkhand Population) करीब 4 करोड़ है जिसमें से 3 करोड़ की आबादी गांव में जबकि एक करोड़ की आबादी शहरों में रहती है. पहली बार जब भारत में कोरोना (Coronavirus infection) ने दस्तक दी और देखते ही देखते लाखों लोग इसकी चपेट में आ गए थे, उस दौरान शहर में रहने वाली एक बड़ी आबादी जो गांवों से आई थी वो वापस गांव चली गई. 

उम्मीद थी कि गांव में शुद्ध हवा, पानी और भोजन मिलेगा और कोरोना का संक्रमण भी दूर रहेगा. कोरोना के पहले वेब का असर थोड़ा कम हुआ तो काफी लोग फिर काम की तलाश में शहर चले गए. काम भी थोड़ा बहुत मिलने लगा कि इसी बीच कोरोना का दूसरा वेब आ गया. एक बार काफी तादाद में लोग गांव लौट गए इस उम्मीद में कि पहले की तरह कोरोना कम होगा तो वापस लौट आएंगे. 

कोरोना की दूसरी वेब ने गांव का रास्ता भी देख लिया (Coronavirus infection In Village) और शहरों के साथ-साथ गांव में भी कोरोना फैलने लगा. हर घर में बुखार और सर्दी-खांसी के मरीज हो गए. परिवार के परिवार बीमार पड़ने लगे. कुछ लोगों ने झोला छाप डॉक्टरों से इलाज कराया तो कुछ खुद डॉक्टर बन गए और खुद का इलाज करने लगे. गांव में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जांच ही नहीं कराना चाहते, उन्हें डर है कि कहीं रिपोर्ट में कोरोना न निकल जाए. 

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घाटशिला: कलियाम गांव में 67 कोरोना पॉजिटिव
कोरोना के पहले लहर में अछूते रहे गांव इस बार कोरोना के निशाने पर रहे. घाटशिला जिला के चाकुलिया ब्लॉक में कलियाम गांव है, जहां सर्दी-खांसी और बुखार से 3 लोगों की मौत हो गई. मौत की खबर मिलने के बाद जिला प्रशासन की टीम गांव पहुंची और जब गांव के लोगों की जांच कराई गई तो 67 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए. कलियाम गांव को कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया गया है और चारों तरफ से बांस बल्ली लगाकर गांव को सील कर दिया गया है. 
बोकारो: सतनपुर गांव में सैकड़ों बीमार
बोकारो के सतनपुर गांव में 30 प्रतिशत लोग बुखार और सर्दी-खांसी से बीमार हैं. यहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने से ग्रामीण भगवान भरोसे हैं और झोला छाप डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं. अभी तक गांव के लोगों की कोविड जांच नहीं कराई गई हैं. 

गुमला: झाड़ फूंक से कोरोना का इलाज

एक तरफ जहां कोरोना को हराने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल किट भेजने से लेकर अस्पताल तक बनाए जा रहे हैं, तो दूसरी तरफ गुमला के बिशुनपुर में लोग बीमार पड़ने पर अस्पताल जाने के बजाए घर में ही झाड़ फूंक से इलाज करा रहे हैं. अंधविश्वास यहां इतना है कि टीका देने वाले हेल्थ वर्करों को ग्रामीण भगा दे रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि

कोरोना इंजेक्शन लेने के एक महीने के अंदर बुखार और मौत हो जाती है. मंजीरा गांव में एएनएम को देखते ही ग्रामीण एकजुट हो गए और घंटा बजाकर उन्हें गांव से खदेड़ दिया. गांव में इलाज के अभाव में कई लोगों की जान भी जा चुकी है. गुमला के डीसी शिशिर कुमार सिन्हा का कहना है कि ''ग्रामीण इलाकों के अंधविश्वास है जागरूक अभियान चलाकर उन लोगों को समझाया जाएगा.'

 

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