RIMS में तृतीय -चतुर्थ वर्गीय नियुक्ति के लिए निकाला जाए तत्काल विज्ञापन: झारखंड HC
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RIMS में तृतीय -चतुर्थ वर्गीय नियुक्ति के लिए निकाला जाए तत्काल विज्ञापन: झारखंड HC

अदालत ने कहा कि कुछ लोगों के लिए RIMS धंधा बन गया है. अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा, 'राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में 44 में से सिर्फ नौ प्रोफेसर ही कार्यरत हैं. सहायक प्रोफेसरों की भी कमी है.

 (फाइल फोटो)

Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने आज राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान एवं अस्पताल राजेन्द्र आयुर्विग्यान संस्थान (RIMS) में चतुर्थ श्रेणी से लेकर प्रोफेसर तक के अस्सी प्रतिशत पद रिक्त होने और इन रिक्तियों को भरने में गंभीरता की कमी पर गहरी नाराजगी जतायी और कहा कि इतना बड़ा संस्थान बस भगवान भरोसे ही चल रहा है. 

झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश डा. रवि रंजन एवं न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की पीठ ने RIMS में खाली पदों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर आज सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. पीठ ने टिप्पणी कि RIMS में प्रोफेसर से लेकर चतुर्थ वर्ग के लगभग 80 प्रतिशत पद खाली हैं और इतनी बड़ी संस्था भगवान भरोसे ही चल रही है.

RIMS बन गया है धंधा

अदालत ने कहा कि कुछ लोगों के लिए RIMS धंधा बन गया है. अदालत ने आश्चर्य जताते हुए कहा, 'राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में 44 में से सिर्फ नौ प्रोफेसर ही कार्यरत हैं. सहायक प्रोफेसरों की भी कमी है. तृतीय और चतुर्थ वर्ग के सभी पद आउटसोर्स कर दिए गए हैं. ऐसे में अस्पताल कैसे काम कर रहा है .' 

भगवान भरोसे चल रही है व्यवस्था

अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'लगता है कि अदालत को ही अब RIMS की बेहतरी के लिए कुछ करना होगा क्योंकि वहां की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है, जबकि RIMS को एक बड़ी राशि सहायता के रूप में मिलती है.'  मुख्य न्यायाधीश ने RIMS निदेशक को तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए विज्ञापन जारी करने का निर्देश दिया.  अदालत ने कहा कि आउटसोर्सकर्मी सिर्फ नियुक्ति नहीं होने तक ही काम करेंगे. मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी. सुनवाई के दौरान मौजूद RIMS निदेशक से अदालत ने रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी. 

प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए जारी किया गया विज्ञापन

RIMS की ओर से बताया गया कि RIMS में प्रोफेसरों के 44 पद स्वीकृत हैं. फिलहाल नौ प्रोफेसर कार्यरत है. तेईस प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है. शेष का रोस्टर क्लियरेंस किया जा रहा है. इस पर अदालत ने पूछा कि रोस्टर क्लियरेंस RIMS को ही करना है तो फिर इसमें विलंब क्यों किया जा रहा है? अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि एक साल पहले ही RIMS में सभी रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया गया था तो अब तक नियुक्ति क्यों नहीं की गई? 

अदालत ने जानना चाहा कि RIMS में तृतीय और चतुर्थवर्गीय पदों को आउटसोर्स क्यों किया गया है? इस पर निदेशक ने बताया कि दो साल पहले हुई गवर्निंग बॉडी की बैठक में चतुर्थवर्गीय पदों को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया गया था. इसके लिए एम्स की व्यवस्था को आधार बनाया गया था. इस पर अदालत ने कहा कि क्या एम्स की नियमावली को RIMS ने स्वीकार कर लिया है . अदालत ने दो टूक कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थाई नहीं रखा जा सकता. उनकी नियुक्ति सीमित समय के लिए होती है. स्थाई नियुक्ति में समय लगने पर कुछ दिनों के लिए नियुक्ति की जाती है. 

अदालत ने कहा कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्तियों की अनुमति अदालत नहीं देगा. इस पर RIMS के निदेशक ने बताया कि लगभग 300 से ज्यादा तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मियों के पद रिक्त हैं. उन्होंने कहा कि ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य के लिए दो सौ से ज्यादा नए पद सृजित करने के लिए झारखंड सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है. अदालत ने नए पद सृजित करने के RIMS के प्रस्ताव पर सरकार को विचार कर जल्द निर्णय लेने को कहा. 

 

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