गुरु के प्रति आस्था 97 वर्ष की उम्र में जमशेदपुर टाटा नगर (झारखंड) निवासी हरवंत कौर को समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब खींच लाई.
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झारखंड: सिखों के धाम हेमकुंड साहिब में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी है. यहां हर साल दुनियाभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं जिस दुर्गम यात्रा को करने में अच्छे-अच्छों की सांसें फूल जाती हैं. उसे लेकर 97 वर्ष की झारखंड निवासी दादी के गजब के जज्बे ने सभी को हैरान कर दिया है. गुरु के प्रति आस्था 97 वर्ष की उम्र में जमशेदपुर टाटा नगर (झारखंड) निवासी हरवंत कौर को समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब खींच लाई.
खास बात यह है कि वृद्धा ने घांघरिया से हेमकुंड साहिब तक छह किमी की विकट चढ़ाई पैदल ही तय की. जबकि, प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के साथ स्वजन ने भी उम्र का हवाला देते हुए उन्हें इस दुर्गम यात्रा को न करने की सलाह दी थी.
20 बाट हेमकुंड की यात्रा कर चुकी हैं हरवंत कौर
हरवंत कौर हेमकुंड साहिब के प्रति अगाध आस्था रखती हैं. यही वजह है कि वह एक-दो नहीं, बल्कि अब तक 20 बाट हेमकुंड की यात्रा कर चुकी हैं. हेमकुंड से लौटने के बाद हरवंत कौर ने बताया कि उनके 75 वर्षीय पुत्र अमरजीत सिंह ने उम्र का हवाला देते हुए उन्हें यात्रा न करने का आग्रह किया था. लेकिन, बीते पांच साल से उनका मन बार-बार हेमकुंड साहिब आने को कर रहा था.
संगत में 335 श्रद्धालु शामिल
इसी बीच उन्हें रिश्तेदारी में पता चला कि भगवान सिंह चड्ढा के नेतृत्व में बाराबंकी, लखनऊ, कानपुर, फैजाबाद, चंडीगढ़ व जमशेदपुर के श्रद्धालुओं की संगत हेमकुंड दर्शनों को जा रही है. संगत में 335 श्रद्धालु शामिल हैं. सो, उन्होंने भी संगत के साथ यात्रा करने का निर्णय लिया. आखिरकार उनकी जिद के आगे बेटे समेत स्वजन भी हार गए और उन्होंने यात्रा के लिए हामी भर दी.
पैदल हेमकुंड पहुंचकर मत्था टेका
संगत 15 जुलाई को गोविंदघाट पहुंची. यहां हरवंत कौर की उम्र को देखते हुए गुरुद्वारा प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग व पुलिस ने भी उन्हें इस दुर्गम यात्रा पर न जाने की सलाह दी. लेकिन, संकल्प की धनी हरवंत कौर कहां मानने वाली थीं. उन्होंने स्वास्थ्य जांच के बाद पैदल ही हेमकुंड पहुंचकर दरबार साहिब में मत्था टेका.
डंडी- कंडी की भी व्यवस्था की गई थी
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि हरवंत कौर के लिए डंडी- कंडी की भी व्यवस्था की गई थी. लेकिन, संगत के साथ वह पैदल ही 16 जुलाई को गोविंदघाट और 17 जुलाई को हेमकुंड साहिब पहुंचीं. लौटने पर उन्होंने घांघरिया में विश्राम किया. मुख्य प्रबंधक ने बताया कि वृद्धा को देखकर लग ही नहीं रहा कि वह दुर्गम यात्रा कर लौटी हैं. संगत सोमवार को गोविंदघाट पहुंची. इस दौरान हटवंत कौर ने कहा कि गुरु के धाम जाने का संकल्प ही उनकी यात्रा पूरी कराई है.
(आईएएनएस)