झारखंड के इस गांव में चावल बेचकर ग्रामीणों ने बनाई सड़क, नेताओं की ENTRY पर बैन
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झारखंड के इस गांव में चावल बेचकर ग्रामीणों ने बनाई सड़क, नेताओं की ENTRY पर बैन

बरसात के बाद देवकीटांड़ गांव की महिला और पुरुष हर साल श्रमदान कर सड़क की मरम्मत करते हैं. इस काम के लिए बरसात का मौसम आते ही लोगों को सड़क बनाने की चिंता सताने लगती है.

झारखंड के इस गांव में चावल बेचकर ग्रामीणों ने बनाई सड़क. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Chatra: चतरा जिले के घोर नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड मुख्यालय से मजह 10 किलोमीटर की दूर पर स्थित देवकीटांड़ गांव आज भी विकास की बाट जोह रहा है. ऐसे में यहां के ग्रामीण अब वोट का बहिष्कार करने का मन बना चुके हैं. सरकारी उदासीनता से नाराज ग्रामीणों ने चावल बेचकर न सिर्फ सड़क बनाई बल्कि जनप्रतिनिधियों के लिए गांव में नो एंट्री की घोषणा भी कर दी है. 

श्रमदान कर ग्रामीणों ने बनाया सड़क
बता दें कि नक्सल प्रभावित सिमरिया प्रखंड के देवकीटांड़ गांव की आबादी लगभग 400 है. कई बार पंचायत स्तरीय ग्राम सभा में इस गांव को मुख्यालय से जोड़ने को लेकर पीसीसी सड़क बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा और अधिकारियों की लापरवाही के कारण गांव में आज तक पुल और सड़क नहीं बन सकी. ऐसे हालत में बरसात के बाद देवकीटांड़ गांव की महिला और पुरुष हर साल श्रमदान कर सड़क की मरम्मत करते हैं. इस काम के लिए बरसात का मौसम आते ही लोगों को सड़क बनाने की चिंता सताने लगती है. उक्त सड़क से कसारी, केंदू, सबानो और भगवानपुर गांव के लोगों का आवागमन होता है.

ग्रामीणों में आक्रोश
वहीं, ग्रामीणों का आरोप है कि नेता चुनाव के दौरान सिर्फ वोट लेने आते हैं. उसके बाद ग्रामीणों और उनकी समस्याओं को भूल जाते हैं. सरकार गांव के समुचित विकास के भले ही लाख दावे कर ले लेकिन हकीकत उन दावों को आज भी मुंह चिढ़ाते नजर आती है. आजादी के 74 साल बीतने के बाद भी देवकीटांड़ गांव जैसे दर्जनों गांव का हाल बेहाल है. यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव में सरकार बनने के बाद गांव के विकास को लेकर उम्मीदें जगी थी लेकिन पंचायत चुनाव के 10 साल गुजर जाने के बाद भी गांव की सड़क की स्थिति नहीं बदली, वाहनों को गांव तक पहुंचने के लिए सड़क और पुल नहीं है. 

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शादी में भी हो रही दिक्कत
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ने के कारण युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है. आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी. कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता. लोग पहले ही देखकर भाग जाते हैं. कहते हैं कि जिस गांव में सड़क और अस्पताल न हो वहां अपनी बेटी की शादी कैसे करें. बेटा हो या बेटी, उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है. पुल और सड़क बनवाने को लेकर कई बार सरकारी कार्यालयों में आवेदन भी दिए गए, लेकिन सरकार की तरफ से इस मामले पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. 

जान जोखिम में डाल रहे ग्रामीण
ऐसे में यहां के ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं. गांव के लोगों को बाहर जाने के लिए, मरीजों के इलाज के लिए या फिर बच्चों के स्कूल जाने के लिए सालों से नदी को पार कर ही जाना पड़ता है. 

नेता को नहीं देंगे एंट्री
स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क और पुल बनाने के लिए विधायक और मंत्री से मांग की लेकिन आज तक पुल और सड़क नहीं बन पाया है.  ग्रामीणों ने कहा कि सड़क नहीं बनने की स्थिति में इस बार गांव में किसी भी नेता को नहीं घुसने दिया जाएगा. वहीं, राज्य के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि हेमंत सरकार (Hemant Soren Government) राज्य के विकास के लिए तत्पर है. जिस गांव में आजादी के बाद से भी विकास कार्य नहीं हुए हैं, उस गांव को समीक्षा बैठक कर चिन्हित करने का आदेश दिया गया है. जल्द ही वैसे गांव में सभी सरकारी सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी.

(इनपुट- यादवेन्द्र सिंह)

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