आज भी ढिबरी युग में जी रहा झारखंड का ये गांव, न सड़क बनी न मिली बिजली
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आज भी ढिबरी युग में जी रहा झारखंड का ये गांव, न सड़क बनी न मिली बिजली

Sardulla Vantoli Village: सरदुल्ला बांधटोली के ग्रामीण अनिल कुमार मुण्डा ने बताया कि सरदुल्ला बांधटोली गाँव में न तो सड़क है और न ही बिजली. बरसात के दिनों में भी खेतों के आड़ और जंगल के बीच हम सभी को चलना पड़ता है.

 

 आज भी ढिबरी युग में जी रहा झारखंड का ये गांव, न सड़क बनी न मिली बिजली

खूंटीः Sardulla Vantoli Village: खूंटी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कई ऐसे गाँव हैं जो विकास की बाट जोह रहे हैं. जिसमें कर्रा प्रखण्ड का एक गाँव है सरदुल्ला बांधटोली. हाथियों की बसावट वाले आच्छादित वनों से घिरे इस सरदुल्ला बांधटोली गाँव में मूलभूत सुविधा से वंचित मजबूरी वश जनजातीय परिवार अपना जीवन चलाने को मजबूर हैं. सड़क नहीं रहने के कारण खेतों और जंगलों के बीच से गुजरना पड़ता है. इस गाँव में न बिजली है न सड़क. इसलिए ग्रामीण शाम होते ही चिड़ियों के जैसे अपने आवास में घुस जाते हैं. ये लोग आज भी ढिबरी युग में जीवन जीने को मजबूर हैं.

बस वोट लेने आते हैं नेता
सरदुल्ला बांधटोली के ग्रामीण अनिल कुमार मुण्डा ने बताया कि सरदुल्ला बांधटोली गाँव में न तो सड़क है और न ही बिजली. बरसात के दिनों में भी खेतों के आड़ और जंगल के बीच हम सभी को चलना पड़ता है. उसने बताया कि चुनाव का समय आते ही नेता लोग वोट के लिए नए सब्ज बाग दिखाने के लिए आते हैं. बड़े-बड़े वादे और सांत्वना करके चले जाते हैं. हाथियों का प्रकोप जारी है. इसी जंगल में हाथी भी रहते हैं. गांव के वृद्ध गोटा मुण्डा ने बताया कि सरदुल्ला बांधटोली में आजतक एक भी प्रधानमंत्री आवास नहीं मिला है. प्रतिदिन हाथी आते हैं. इसका भय भी बना रहता है. लेकिन रहना भी मजबूरी है.

10 साल पहले शुरू हुई थी बिजली लाने की कवायद
पूछने पर यहां के लोग बताते हैं कि करीब 10 साल पहले ग्रामीणों ने ग्रामसभा के माध्यम से बिजली विभाग से गांव तक बिजली पहुंचाने की मांग की थी. ग्रामीणों की मांग पर सरदुला वनटोली में बिजली विभाग द्वारा चार-पांच पोल भी लगाया गया. गांव तक कर्रा-बिरदा मुख्य सड़क से जंगल होते हुए गांव तक बिजली पहुंचनी थी, लेकिन कार्य बंद कर दिया गया. बताया गया कि वन विभाग से अनुमति नहीं मिलने के कारण कार्य बंद हुआ. तब से लेकर अब तक स्थिति जस की तस है. इसका खामियाजा सरदुला वनटोली के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. 

 

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