बिहार : कोसी में बाढ़ से प्रभावित किसानों का सच जानने के लिए सर्वेक्षण शुरू
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बिहार : कोसी में बाढ़ से प्रभावित किसानों का सच जानने के लिए सर्वेक्षण शुरू

2008 में कोसी आपदा से प्रभावित हुए और लगातार जलमग्न रहे गांवों में से नमूने के तौर पर चुने गए दो गांवों कालिकापुर और लक्ष्मीनियां में यह सर्वेक्षण किया जा रहा है.

कोसी में आए बाढ़ से प्रभावित किसानों की स्थिति जानने के लिए सर्वेक्षण. (फाइल फोटो)

सुपौल : मंगलवार को कोसी प्रतिष्ठान की ओर से कोसी के किसानों की असलियत जानने के लिए एक सर्वेक्षण की शुरुआत की गई. सर्वेक्षण 2 से 10 अक्टूबर तक चलेगा. 2008 में कोसी आपदा से प्रभावित हुए और लगातार जलमग्न रहे गांवों में से नमूने के तौर पर चुने गए दो गांवों कालिकापुर और लक्ष्मीनियां में यह सर्वेक्षण किया जा रहा है. इसके मार्फत यहां के किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति जानने के साथ-साथ उसकी जीविका, पशु, बदलते कृषि के तौर-तरीके, स्वास्थ्य व शिक्षा, बाढ़-विनाश, जनता को उपलब्ध सरकारी सेवाओं की पड़ताल से लेकर कला-संस्कृति तक फैला हुआ है. 

सर्वेक्षण की शुरुआत करते हुए कोसी प्रतिष्ठान के चेयरमैन एवं ट्रस्टी गौरीनाथ ने बताया कि इस सर्वेक्षण के आंकड़ों के अध्ययन-विश्लेषण के बाद विशेषज्ञों की एक टीम नवंबर में यहां आएगी और दो दिवसीय एक कार्यशाला सह अध्ययन शिविर का आयोजन किया जाएगा. यह आयोजन पूरी तरह 'कोसी के किसानों' पर केंद्रित रहेगा.

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फाइल फोटो.

उन्होंने कहा, "सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का 15 से 25 अक्टूबर के बीच दिल्ली में विश्लेषण कर छह भागों में अध्ययन किया जाएगा. कृषक समाज : जीवन का सच, कृषि पैदावार (जमीन, उर्वरक, गाछ-बांस, पशुपालन सहित), शिक्षा और स्वास्थ्य, बाढ़ और विनाश, सरकारी सुविधाएं और जनता तक उसकी पहुंच, लोककला, संस्कृति और हस्तकलाएं के रूप में इसके सत्र होंगे."

गौरीनाथ ने बताया कि इस कार्यक्रम में लगभग 50 विद्वान लेखक, पत्रकार, समाजशास्त्री, जल-वैज्ञानिक और लोक कलाकार शामिल होंगे, जिनमें दिनेश कुमार मिश्र, अरविंद मोहन, डीएन ठाकुर, विकास कुमार झा, रणजीव, तारानंद वियोगी, रामदेव सिंह, डॉ. नवीन कुमार दास, अनुरंजन झा, सुनील चतुर्वेदी, केदार कानन आदि प्रमुख हैं.

ट्रस्टी के मुताबिक, मुख्य कार्यक्रम 17 और 18 नवंबर को कोसी प्रतिष्ठान परिसर कालिकापुर में हजारों ग्रामीणों के बीच आयोजित होगा. दिसंबर में समग्र अध्ययन रिपोर्ट और आलेख पुस्तक रूप में जारी किया जाएगा. इस अध्ययन की विशेषता यह है कि जिस समाज का अध्ययन किया जा रहा है. उनके बीच रहकर, उनको सुनाकर, उनसे संवाद कर के हो रहा है.

गौरीनाथ ने कहा, "यूं कहें कि जनता की सहभागिता से उनकी आंखों के सामने यह अध्ययन पूरा होगा. इसके साथ-साथ हस्तकलाओं की कार्यशाला और संध्या में पमरिया नाच और आदिवासी लोकनृत्य का भी आयोजन रखा गया है."

शुरू हुए सर्वेक्षण में जिन लोगों ने वॉलंटरी सहयोग दिया, वे हैं- अभिषेक मिश्र, अनुपम सिन्हा, चंदन कुमार झा, विनय झा, जहांगीर आलम, संजय कुमार पासवान, रौशन कुमार झा, अजित कुमार मिश्र, छोटी कुमार सिंह, अवधनारायण सिंह, संजय झा व अन्य.

(IANS इनपुट)