Chatra Samachar: कोरोना के कहर के बीच झारखंड के चतरा में 60 मासूमों की जान सांसत में है, और समय रहते अगर इन मासूमों की सुध नहीं ली गई तो इनका जीवन और खतरे में पड़ सकता है. दरअसल, कोरोना के कारण ब्लड डोनेशन करने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखी गई है.
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Chatra: भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी स्थित ब्लड बैंक में ब्लड की किल्लत हो गई है. ऐसे में थैलेसीमिया से पीड़ित जिले के 60 मासूम बच्चों की जान पर बन आई है. हैरानी की बात ये है कि इन सभी मासूमों की उम्र महज 3 माह से लेकर 14 साल तक के बीच की है. इन्हें समय-समय पर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. चिकित्सकों का कहना है कि जब तक ऐसे बच्चों को खून चढ़ाया जाता रहेगा, तब तक उनकी जिंदगी सुरक्षित रहेगी, नहीं तो परेशानी बढ़ सकती है.
इधर, Coronavirus की दूसरी लहर जारी है, जिसके कारण लोग Blood Bank में रक्तदान नहीं कर पा रहे हैं. रक्तदान शिविर का भी आयोजन नहीं हो पा रहा है. इस कारण ब्लड बैंक में ब्लड उपलब्ध नहीं है. बीमार बच्चों के लिए रक्त नहीं मिलने के कारण परिजन भी परेशान है. वे लोगों को बच्चे की जिंदगी के लिए रक्तदान करने की अपील कर रहे हैं.
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Thalassemia पीड़ित बच्चों को 15 से 20 दिनों के अंतराल में ब्लड की आवश्यकता पड़ती है. इसके अलावा प्रसव महिला एनीमिया, दुर्घटनाग्रस्त, वृद्ध लोगों को भी रक्त की आवश्यकता पड़ती है. भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के कोषाध्यक्ष स्नेह राज का कहना है कि 'रक्तदान स्वास्थ्य सेवाओं का अति आवश्यक अंग है. रक्त की आपूर्ति का एकमात्र स्रोत मानव शरीर ही है. इसे कृत्रिम रूप से बनाया नहीं जा सकता है. स्वेच्छिक रक्तदान ही एक मात्र माध्यम है जिससे की इसकी आपूर्ति संभव है. रक्तदान करने से रक्तदाता के शरीर में श्वेत रक्त तेजी से बनते हैं, जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर होता, जो करोना संक्रमण से लड़ने में लाभदायक है. रक्तदान के तुरंत बाद पानी पीने से प्लाज्मा और प्लेटलेट्स तैयार हो जाते हैं.'
खून की कमी से जूझ रहे गंभीर बीमारी के मरीजों की जान बचाने के लिए उन्होंने समाज सेवी संस्था और अन्य लोगों से बढ़-चढ़ कर रक्तदान करने की अपील की है.
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परेशान हैं बच्चों के परिजन
थैलेसीमिया से पीड़ित एक बच्चे के पिता सिमरिया प्रखंड निवासी तस्लीम अंसारी ने कहा कि 'ब्लड बैंक में ब्लड नहीं रहने से चिंता बढ़ गई है. उनके बच्चे को 15 से 20 दिनों में ब्लड की आवश्यकता पड़ती है.' तस्लीम के दो बच्चे थैलेसीमया से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि 'जब से ब्लड बैंक में ब्लड नहीं होने की जानकारी मिली है, तब से परेशान हूं. बच्चों को कैसे ब्लड चढ़ाया जाए इसकी चिंता सता रही है.'
क्या है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया बच्चों को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त संबंधित रोग है. इसके रोगी को शरीर में हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है. इसके कारण रक्तक्षीणता (एनीमिया) के लक्षण प्रकट होते हैं. रक्तक्षीणता शरीर की वह स्थिति है जिसमें खून की बहुत कमी हो जाती है. इसकी पहचान 3 माह की आयु के बाद ही होती है. इसके पीड़ित बच्चे के शरीर में रक्त की कमी होने लगती है. इसके कारणों से बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है.