Bihar Land Survey: आमतौर पर पर्व, त्यौहार और शादी-विवाह के मौसम में ट्रेनों में भारी भीड़ होती है, लेकिन बेनामी सम्पति अपने नाम करवाने की चिंता में सबकुछ छोड़कर ट्रेनों में ठसम ठस्स भीड़ के बीच यात्रा पूरी करने को मजबूर हैं. बिहार वासी सूबे के विभिन्न जिलों में अपने घर लौट रहे हैं. जिसमें मजदूर, नौकरीपेशा और कारोबारी शामिल हैं.
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Bagaha: बिहार में लम्बे समय बाद जमीन सर्वे कराया जा रहा है. लिहाजा क्या आम क्या खास सभी परेशान हैं. यही वजह है कि लोग आनन-फानन में दूसरे प्रदेशों से अपने घर लौट रहे हैं, क्योंकि बाप दादा के नाम की सम्पति अपने नाम करवानी है. तभी तो अपने कारोबार, नौकरी और मजदूरी छोड़कर लोगों को तत्काल टिकट लेकर अपने घर लौटना पड़ रहा है. इस बीच वेटिंग टिकट रद्द किये जाने के बाद लोगों की खास तौर पर ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को महंगे दरों पर टिकट बनवाकर यात्रा पूरी करनी पड़ रही है.
आमतौर पर ट्रेनों में दिवाली और छठ महापर्व के समय भारी भीड़ देखी जाती है, लेकिन फिलहाल बीना पर्व, त्यौहार और शादी-विवाह के मौसम के ही लोग तमाम दुस्वारियां और परेशानियां झेलकर सम्पति बचाने और अपने नाम करवाने को मजबूर है. ज्यादातर लोगों के बायोमेट्रिक निशान समेत वंशावली बनवाने हैं. तो किसी को जमीन का परिमार्जन करवाना है और कोई दाखिल खारिज के लिए भाग दौड़ कर रहा है. तभी तो बेनामी संपत्ति उनके नाम ट्रांसफर किया जा सकेगा.
दरअसल बिहार में राजस्व भूमि सुधार विभाग द्वारा करीब सौ वर्षों बाद जमीन सर्वे का कार्य कराया जा रहा है. हालांकि, बीच में इसपर रोक लगने के अफवाह उड़े थे, लेकिन विभागीय मंत्री दिलीप जायसवाल ने इसको सिरे से खारिज करते हुए बिहार में लैंड सर्वे जारी रहने की जानकारी दी है. जिसके बाद जमीन सर्वे तीव्र गति से शुरू किया गया है. यही वजह है कि ट्रेनों में यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है. दूसरे प्रदेशों में कार्य और मजदूरी करने वाले लोग सारे काम काज छोड़कर परिवार के साथ अपने घर बिहार लौट रहे हैं.
ट्रेनों में टिकट से लेकर सीट और शौचालय की तमाम दिक्कतों के बावजूद लोग अपनी सम्पति अपने नाम करवाने के लिए खड़े होकर, तो कुछ लोग एक सीट पर दो-तीन की संख्या में एक साथ बैठकर व लेट कर अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं उनकी पैतृक सम्पति बेनाम न हो जाये. लिहाजा सब कुछ ताक पर रखकर लोग अपने घर भाग रहे हैं.
बता दें, बिहार में बेतिया राज समेत कई अन्य जमीन को अब सरकार के नाम करने की कवायद तेज है. जिससे हजारों एकड़ जमीन से अरबों रूपये का फायदा सरकार को होगा. इधर भूमि विवाद के कई मामले सूबे में लम्बे समय से खून खराबा के कारण बनते रहे हैं. ऐसे में अब यह जमीन सर्वे का काम कितना कारगर और सफल होगा, ये देखने वाली बात होगी.
पूर्वांचल की सबसे महत्वपूर्ण सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में आनंद विहार से घर लौटने वाले बिहार के यात्रियों से उनके हालात का जायजा लिया ज़ी मीडिया के संवाददाता ने.
इनपुट - इमरान अजीज
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