वाराणसी (Varanasi) के हड़हासराय (Hadha Sarai) में जब भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां (BISMILLAH KHAN) की शहनाई गूंजती थी तो हर कोई ठहर जाता था. लेकिन जिस जगह पर सुकून भरी नींद के लिए उस्ताद ने अमेरिका (USA) बसने का निमंत्रण ठुकरा दिया था,आज वही आशियाना खतरे में है.
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वाराणसी: वाराणसी (Varanasi) के हड़हासराय (Hadha Sarai) में जब भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां (BISMILLAH KHAN) की शहनाई गूंजती थी तो हर कोई ठहर जाता था. लेकिन जिस जगह पर सुकून भरी नींद के लिए उस्ताद ने अमेरिका (USA) बसने का निमंत्रण ठुकरा दिया था,आज वही आशियाना खतरे में है. उनके निधन के 14 साल के अंदर ही काशी वाले उनके घर पर पारिवारिक विवाद यूं गहराया कि उस्ताद साहब की यादें तक खतरे में पड़ गईं. जब बिस्मिल्लाह खां की दत्तक पुत्री सोमा घोष (Soma Ghosh) ने मकान के तोड़े जाने की खबर सुनी तो इसकी जानकारी उन्होने वाराणसी के जिलाधिकारी (District magistrate ) को देते हुए खां साहब के मकान को संरक्षित करके संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की मांग की है.
ये है वजह
मकान बिस्मिल्लाह खां के बेटे स्वर्गीय मेहताब के नाम है और बहुत ही खस्ता हालत में है. जिस वजह से मकान को तुड़वा कर उसकी मरम्मत कराई जा रही थी. इस पर परिवार के कुछ मेंबरों को ऐतराज होने के बाद तय किया गया कि मकान बिल्डर (Builder) को दे दिया जाए और खां साहब की विरासत को एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में तब्दील कर दिया जाए.
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फिलहाल वाराणसी वीडीए (Varanasi Development Authority) ने मकान का नक्शा पास होने तक निर्माण को रोक दिया है. उस्ताद की पुण्यतिथि से चंद रोज पहले हथौड़ा चलाने की तैयारी की बात सुनकर खां साहब के चाहने वालों को और दुख पहुंचा है.
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