India Alliance: 'राष्ट्रीय नेता बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी', ममता के अकेले चुनाव लड़ने पर BJP का तंज
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India Alliance: 'राष्ट्रीय नेता बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी', ममता के अकेले चुनाव लड़ने पर BJP का तंज

BJP slams Mamta Banerjee:  जब बात विरोध की हो तो एक साथ मंच साझा कर सकते हैं.लेकिन बात जब सीट शेयरिंग की हो तो दबाव वाली राजनीति. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन को जोरदार झटका दिया है. उन्होंने कहा कि अब सीट शेयरिंग के मुद्दे पर देरी हो रही थी लिहाजा वो अकेले ही चुनाव लड़ेंगी. लेकिन बीजेपी ने तंज कसते हुए हमला किया. 

India Alliance: 'राष्ट्रीय नेता बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी', ममता के अकेले चुनाव लड़ने पर BJP का तंज

Mamta Banerjee News: क्या एनडीए को इंडिया गठबंधन टक्कर दे पाएगा. दरअसल यह सवाल इसलिए मौजूं है कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर खींचतान बनी हुई है. 23 जनवरी को जेडीयू के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा था कि आपसी एका बनाए रखने की जिम्मेदारी उनकी अधिक है. क्षेत्रीय दलों की भावना का सम्मान करना होगा. जाहिर सी बात यह है कि वो इशारों इशारों में यह बता रहे थे कि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से दबाव ना बनाया जाए. इसके साथ ही यह भी कहा कि जो क्षेत्रीय दल जहां मजबूत हैं वहां उन्हें अधिक मौका मिले. जाहिर सी बात थी कि वो ये कह रहे थे कि बिहार में कांग्रेस अधिक सीटों की उम्मीद ना करे. इन सबके बीच ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी.

बीजेपी के निशाने पर ममता

ममता बनर्जी ने कहा कि सीट शेयरिंग में देरी की वजह से आशंकाएं बढ़ती जा रही थीं. कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई थी. लिहाजा टीएमसी ने अकेले ही 2024 के चुनाव में जाने का फैसला किया है. अब जब इस तरह का बयान उनकी तरफ से आया तो बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने कहा कि यह हताशा की निशानी है. टीएमसी तो इंडिया गठबंधन की सबसे ताकतवर दल है. लेकिन बंगाल में गठबंधन से अलग जाकर चुनाव लड़ने की बात करना हताशा है. सच तो यह वो अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है. ऐसे में वो अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश है. 

'राष्ट्रीय नेता बनने का था सपना'
सच यह भी है कि वो इंडिया गठबंधन का चेहरा बनना चाहती थीं. लेकिन किसी ने उनके नाम का प्रस्ताव तक नहीं किया. दरअसल गठबंधन का चेहरा बनने की उनकी महत्वाकांक्षा इतनी अधिक थी कि किसी ने उनके नाम का प्रस्ताव नहीं दिया. उन्होंने कई दफा दिल्ली का दौरा कर राष्ट्रीय स्तर की नेता बनने की कोशिश की. लेकिन कोई भी कोशिश रंग नहीं लाई. मालवीय ने दावा किया कि बनर्जी ने अपना चेहरा बचाने के लिए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की वकालत की थी और गठबंधन से बाहर आने के लिए जमीन तैयार कर रही थीं. शर्मिंदा ममता ने अपना चेहरा बचाने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए वकालत की और खुद को इस प्रक्रिया से बाहर कर दिया.उन्हें एहसास हुआ कि उनके विरोध के बावजूद उनकी कोई ताकत नहीं थी. वह लंबे समय से बाहर निकलने के लिए जमीन तैयार कर रही थीं.

'बंगाल में दाखिल होने से पहले ही कांग्रेस को झटका'

बीजेपी ने कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के राज्य में कदम रखने से पहले पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने की बनर्जी की घोषणा इंडिया गठबंधन के लिए मौत की घंटी है.  इन सबके बीच टीएमसी सुप्रीमो ने कहा कि  कांग्रेस पार्टी के साथ उनकी कोई चर्चा नहीं हुई. वो हमेशा से कहती रही हैं हम अकेले लड़ेंगे. हम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी हैं और बंगाल में हम अकेले ही बीजेपी को हराएंगे. हम तय करेंगे कि अखिल भारतीय स्तर पर क्या करना है. बीजेपी को हराने के लिए जो भी कर सकते हैं करेंगे.गठबंधन में कोई एक पार्टी शामिल नहीं है. राज्यों और क्षेत्रीय दलों को दूसरे राज्यों में अकेले लड़ने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए.उन्हें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए. तृणमूल और कांग्रेस में टूट तब हुई जब अधीर रंजन चौधरी ने बंगाल की मुख्यमंत्री पर अपना हमला जारी रखा. 23 जनवरी को उन्होंने दावा किया था कि 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी कांग्रेस की दया से सत्ता में आई थीं. बताया जा रहा है कि टीएमसी कांग्रेस को बंगाल की 42 सीटों में से अधिक से अधिक तीन सीट ही देना चाहती थीं.  2019 के चुनाव में कांग्रेस ने दो लोकसभा सीटें जीती थीं जबकि टीएमसी ने 22 सीटें जीती थीं.

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