Bombay High Court: बांबे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में जस्टिस रोहित बी देव ने इस्तीफा दे दिया. उन्होंने वकीलों के सामने कहा कि वो आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकते हैं.
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Nagpur Bench Justice Rohit B Dev News: बांबे हाईकोर्ट के जज जस्टिस रोहित बी देव ने कहा कि वो व्यक्तिगत वजहों से इस्तीफा दे चुके हैं. हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में उस समय मौजूद एक वकील ने कहा कि जस्टिस रोहित बी देव ने कहा कि वो आत्मसम्मान के सात समझौता नहीं कर सकते थे. जो लोग उस अदालत में मौजूद थे उनसे जज ने कि वो क्षमाप्रार्थी हैं और आप सबसे माफी मांगता हूं. उन्होंने दूसरों से इसलिए तेज आवाज में बोला कि वो सुधार चाहते थे. वो कभी किसी को अपमानित या दुखी करना नहीं चाहते थे क्योंकि आप सभी लोग मेरे परिवार की तरह हैं. वो सभी को अपने इस्तीफे के बारे में बताना चाहते हैं. आप सभी लोगों ने कड़ी मेहनत की है.जस्टिस रोहित बी देव बांबे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच में जस्टिस थे. 2017 में अप्वांइटमेंट के समय वो महाराष्ट्र सरकार के एडवोकेट जनरल थे. 2019 में उन्हें स्थायी जज बनाया गया और 2025 में रिटायर होने वाले थे. न्यायमूर्ति देव ने उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया, जिसने पिछले साल ट्रायल कोर्ट द्वारा अपनाई गई घटिया कागजी कार्रवाई और दोषपूर्ण प्रक्रिया के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर गोकलकोंडा नागा साईबाबा को दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया था.
दिए थे कई अहम फैसले
इस साल अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट ने साईबाबा को बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया और मामले को एक अलग पीठ द्वारा नए सिरे से तय करने के लिए नागपुर पीठ को भेज दिया। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से चार महीने के भीतर मामले का फैसला करने को भी कहा था.पिछले हफ्ते न्यायमूर्ति देव ने 3 जनवरी के महाराष्ट्र सरकार के संकल्प (आदेश) के संचालन पर रोक लगा दी थी, जिसके माध्यम से राज्य को नागपुर के निर्माण में लगे ठेकेदारों द्वारा गौण खनिजों के अवैध उत्खनन से संबंधित राजस्व विभाग द्वारा शुरू की गई दंडात्मक कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार दिया गया था.
जनवरी में उन्होंने एक सट्टेबाज और कार्यकर्ता ललन किशोर सिंह द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें नागपुर पुलिस द्वारा उन्हें जारी किए गए नोटिस का विरोध किया गया था. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय में प्रदान की गई सुरक्षा के बारे में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई अधिनियम के तहत एक आवेदन दायर करने के बाद दिहाड़ी मजदूर को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. सरकारी वकील ने अदालत में याचिकाकर्ता से माफी मांगी और पीठ को आश्वासन दिया कि पुलिस उसके खिलाफ आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगी. बार और बेंच ने बताया कि इस बयान के मद्देनजर कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया.मई 2020 में, न्यायमूर्ति देव ने कोविड-19 लॉकडाउन लागू करने की आड़ में पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई असामान्य और अपमानजनक सजाओं पर आपत्ति जताई. बार और बेंच ने बताया कि अदालत ने निर्देश दिया था कि लॉकडाउन लागू करते समय किसी भी अतिरिक्त कानूनी उपाय या दंड का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए.