फिल्टर या रेस्पिरेटर लगे हुए मास्क कोरोना वायरस में फायदे की जगह नुकसान कर सकते हैं. सांस में मौजूद वायरस फिल्टर यानी रेस्पिरेटर के जरिए बाहर निकल सकता है.
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) को 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी बहुत से लोग मास्क लगाने का ना तो सही तरीका जानते हैं और ना ही ये समझ पाए हैं कि कौन सा मास्क कहां लगाना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बार फिर सभी राज्यों के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी है और एक बार फिर ताकीद की है कि N-95 मास्क का गलत इस्तेमाल हो रहा है. दरअसल फिल्टर या रेस्पिरेटर लगे हुए मास्क कोरोना वायरस में फायदे की जगह नुकसान कर सकते हैं.
अगर कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है और वह फिल्टर वाला मास्क लगाता है तो उसकी सांस में मौजूद वायरस फिल्टर यानी रेस्पिरेटर के जरिए बाहर निकल सकता है. यह मास्क खास परिस्थिति में अस्पताल के डॉक्टरों के लिए या फिर प्रदूषण से बचाव के लिए लगाए जाते हैं. कोरोना में फिल्टर वाले मास्क से फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिट्ठी लिख कर एक बार फिर सलाह दी है कि आम लोग सूती कपड़े के घर में बने हुए मास्क ही इस्तेमाल करें.
अप्रैल में घरेलू मास्क को लेकर जो एडवाइजरी जारी की गई थी उसके मुताबिक सूती कपड़े को एक बार गर्म पानी से धो लें चाहे तो उसमें नमक डाल सकते हैं. इस कपड़े के मास्क बनाएं पूरा दिन पहनने के बाद शाम को इस धो दें.