सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी अपराध मानने से इनकार कर दिया है. ऐसे में इन जोड़ों का कहना है कि उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने की अनुमति दी जाए. इसी मामले में हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर अपना रुख साफ किया है.
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने समलैंगिक शादियों के मामले में अपना रुख साफ कर दिया है. केंद्र सरकार ने कहा कि समलैंगिकता भले ही अपराध न रह गया हो, लेकिन ये भारतीय सामाजिक नियमों के खिलाफ है. और ऐसी शादियों का सरकार विरोध करेगी. बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले को लेकर इस समय 4 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिन्हें हाई कोर्ट ने एक साथ करते हुए अब अप्रैल महीने में अगली सुनवाई की तारीख तय की है.
दिल्ली हाई कोर्ट में चार याचिकाएं समलैंगिक शादियों को लेकर दायर की गई हैं. जिसमें से तीन जोड़ों ने विदेश में शादी रचा ली और चौथा जोड़ा भी यही करने वाला है. चूंकि अभी भारत में समलैंगिक शादियों की कानूनी वैधता नहीं है, ऐसे में दिल्ली हाई कोर्ट से इस मामले में अपील की गई है. ऐसा इसलिए भी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को कानूनी अपराध मानने से इनकार कर दिया है. ऐसे में इन जोड़ों का कहना है कि उन्हें स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह करने की अनुमति दी जाए. इसी मामले में हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर अपना रुख साफ किया है.
हिंदू विवाह कानून और विशेष विवाह कानून के तहत समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को मंजूरी देने की मांग को लेकर दायर याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने अपना रुख कोर्ट में पेश किया. केंद्र सरकार ने कहा कि शादी दो व्यक्तियों का मामला हो सकता है, जिसका उनकी निजी जिंदगी पर असर होता है, लेकिन इसे केवल निजता की अवधारणा में नहीं छोड़ा जा सकता है. केंद्र सरकार ने कहा कि पार्टनर की तरह साथ रहना और समान लिंग के साथ यौन संबंध रखने की तुलना भारतीय परिवार ईकाई से नहीं हो सकती है, जिसमें एक पति, पत्नी और बच्चे होते हैं. इन विवाह संबंधों में एक जैविक पुरुष 'पति' होता है, जैविक महिला 'पत्नी' और इनके मिलन से बच्चे पैदा होते हैं. लेकिन समलैंगिक मामलों में ऐसा नहीं है. और ये भारतीय समाज के लिहाज से गलत है. ऐसे में केंद्र सरकार इन याचिकाओं का विरोध करती है.
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इस मामले में दिल्ली सरकार ने भी अपना पक्ष रखा. दिल्ली सरकार ने कहा कि वो अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन करेगी. इस विषय पर जो भी फैसला होगा, वो उसे मंजूर करेगी. अब दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने सभी याचिकाओं को जोड़ दिया है और अप्रैल में अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी है.
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