Muslim Girl Marriage: क्या शरिया के हिसाब से 15 साल में मुस्लिम लड़की की शादी हो सकती है? सुप्रीम कोर्ट जांचेगा
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Muslim Girl Marriage: क्या शरिया के हिसाब से 15 साल में मुस्लिम लड़की की शादी हो सकती है? सुप्रीम कोर्ट जांचेगा

Child Marriage in India: पंजाब हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मुस्लिम लड़की 15 साल की उम्र में पर्सनल लॉ के तहत कानूनी रूप से शादी कर सकती है. अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज यह मुद्दा उठाया.

Muslim Girl Marriage: क्या शरिया के हिसाब से 15 साल में मुस्लिम लड़की की शादी हो सकती है? सुप्रीम कोर्ट जांचेगा

क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक 15 साल की मुस्लिम लड़की को भी शादी की इजाजत दी जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करेगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मसले पर विभिन्न हाई कोर्ट के अलग-अलग फैसले आ रहे हैं. इसके चलते भ्रम की स्थिति बन रही है. इन फैसलों के खिलाफ अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. बेहतर होगा कि सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़ी सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर इस पर स्पष्टता दे.

चीफ जस्टिस ने कहा कि इस पर स्पष्टता की ज़रूरत है. हम जल्द इस पर विचार करेंगे. राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमे हाई कोर्ट ने 15 साल की मुस्लिम लड़की की शादी को वैध करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुछ दिनों में इसे सूचीबद्ध करेगा. 

कॉलेज में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ भी याचिका

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उसने बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज के परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एन जी आचार्य एवं डी के मराठे महाविद्यालय द्वारा हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं. उच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है, जो कि शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. 

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपील को तत्काल सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर संज्ञान लेते हुए कहा कि इस मामले के लिए पहले ही एक पीठ तय कर दी गई है और इसे जल्द ही सूचीबद्ध किया जाएगा. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ संभवत: बुधवार से शुरू हो जाएंगे. (Pic-Microsoft AI)

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