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पटना: बिहार विधान सभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग होकर चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है. एलजेपी के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह के जेडीयू (JDU) का दामन थाम लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी एलजेपी में सेंध लगाने की तैयारी में है.
विधान सभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा (BJP) के कई नेताओं ने टिकट नहीं मिलने या पार्टी से नाराजगी के कारण पार्टी छोड़कर चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी एलजेपी (LJP) का दामन थाम लिया था. उस समय इसे लेकर भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू (JDU) ने नाराजगी भी जताई थी.
विधान सभा चुनाव में एलजेपी (LJP) जहां एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी, जबकि भाजपा NDA में सबसे अधिक सीट जीतकर बड़े भाई की भूमिका में पहुंच गई है. ऐसी स्थिति में भाजपा को छोड़कर LJP में जाने वाले नेताओं ने अब नरमी दिखाना शुरू कर दी है. भाजपा के सूत्र कहते हैं कि पार्टी छोड़कर गए नेताओं के प्रति भाजपा का नेतृत्व भी सख्त नहीं है. ऐसे में तय माना जा रहा है कि ऐसे नेता एकबार फिर से भाजपा में शामिल होंगे.
भाजपा (BJP) के एक दिग्गज नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी अब अपने जनाधार को राज्य में मजबूत करना चाहती है. पार्टी के कुछ लोग नाराजगीवश पार्टी छोड़कर भले ही गए हों, लेकिन अगर वे अपनी गलती मान लेते हैं, तो उन्हें पार्टी में वापस लेने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने तो यहां तक कहा कि पार्टी छोड़कर गए सभी नेताओं को पार्टी में शामिल करने की तैयारी है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
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उल्लेखनीय है कि चुनाव के बाद एलजेपी के इकलौते विधायक राजकुमार ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) का दामन छोड़ जदयू (JDU) का हाथ थामा है. इससे पहले LJP के 200 से ज्यादा नेता JDU में शामिल हो चुके हैं. पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया पहले ही एलजेपी से इस्तीफा दे चुके हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कभी भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा छोड़कर एलजेपी में गए राजेंद्र सिंह, पूर्व विधायक ऊषा विद्यार्थी भी भाजपा में फिर से लौटना चाहते हैं.
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