DNA: कांग्रेस की नई 'यात्रा पॉलिटिक्स', भारत जोड़ो के बाद न्याय यात्रा का फायदा होगा?
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DNA: कांग्रेस की नई 'यात्रा पॉलिटिक्स', भारत जोड़ो के बाद न्याय यात्रा का फायदा होगा?

DNA Analysis: आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने पिछले वर्ष भारत जोड़ो यात्रा नाम से भी एक यात्रा की थी, जिसमें वो कन्याकुमारी से कश्मीर तक गए थे. ठीक वैसे ही राजनीतिक हितों और कुछ खास मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी उन्हें एक और यात्रा पर भेज रही है.

DNA: कांग्रेस की नई 'यात्रा पॉलिटिक्स', भारत जोड़ो के बाद न्याय यात्रा का फायदा होगा?

DNA Analysis: आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने पिछले वर्ष भारत जोड़ो यात्रा नाम से भी एक यात्रा की थी, जिसमें वो कन्याकुमारी से कश्मीर तक गए थे. ठीक वैसे ही राजनीतिक हितों और कुछ खास मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी उन्हें एक और यात्रा पर भेज रही है. ये नई यात्रा मणिपुर से शुरू होगी और महाराष्ट्र के मुंबई में खत्म होगी. DNA में हम कांग्रेस पार्टी की इन दोनों यात्राओं का विश्लेषण करेंगे. सबसे पहले आपको भारत न्याय यात्रा के बारे में बताते हैं.

मणिपुर से मुंबई तक भारत न्याय यात्रा

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी की एक नई यात्रा की घोषणा कर दी है. कांग्रेस की 'भारत न्याय यात्रा' 14 जनवरी को मणिपुर से शुरू होगी और 20 मार्च को महाराष्ट्र के मुंबई में जाकर खत्म होगी. इस दौरान राहुल गांधी 65 दिन इस यात्रा में गुजारेंगे. इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी 6 हजार 200 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे. यात्रा का बड़ा हिस्सा बस के जरिए तय किया जाएगा, और बीच बीच में राहुल गांधी पैदल यात्रा भी करेंगे. भारत न्याय यात्रा 14 राज्यों से होकर गुजरेगी, जिसमें करीब 85 जिले रास्ते में पड़ेंगे. इन 14 राज्यों में मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र हैं.

355 लोकसभा सीटें होंगी कवर

राहुल गांधी की इस नई यात्रा का मकसद देश की 355 लोकसभा सीटों को कवर करना है. जिन राज्यों से ये यात्रा गुजरेगी, उन राज्यों में कुल 355 लोकसभा सीटें पड़ती हैं. कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि भारत न्याय यात्रा में राहुल गांधी को जनता का पूरा समर्थन मिलेगा. कांग्रेस का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा में राहुल को जनता का समर्थन मिला था, ठीक वैसे ही इस बार भी मिलेगा. देखा जाए तो कांग्रेस इस यात्रा को चुनावी यात्रा नहीं मान रही है. लेकिन जिस दिन ये यात्रा खत्म होगी, उसी दिन से कांग्रेस चुनावी बिगुल फूंकेगी. यानी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों को कवर करना चाहती है. और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बीच, अपनी यात्रा के जरिए मीडिया और सोशल मीडिया में BUZZ भी बनाना चाहती है.

क्या है इस यात्रा का मकसद?

इस यात्रा के मकसद को लेकर जब सवाल पूछे गए तो इसके बारे में जयराम रमेश ने ट्वीट के जरिए बताया. अपनी एक्स पोस्ट में उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का पेज़ डालते हुए, लिखा है कि भारत न्याय यात्रा, आर्थिक न्याय के लिए, सामाजिक न्याय के लिए और राजनीतिक न्याय के लिए है. हालांकि बीजेपी की नजर में इस यात्रा के अन्य मायने हैं. उसने अभी से इस यात्रा को निशाने पर ले लिया है. कांग्रेस का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा की वजह से उन्हें कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में सफलता मिली है. यही वजह है कि वो लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एक और यात्रा करके, अपने पक्ष में माहौल बना लेंगे.

मणिपुर कांग्रेस के लिए बड़ा मुद्दा

मणिपुर में हुई जातीय हिंसा को कांग्रेस पार्टी, केंद्र सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती है.यही वजह है कि इस यात्रा की शुरुआत के लिए मणिपुर को चुना गया है, जहां मल्लिकार्जुन खरगे, इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. लेकिन उत्तर पूर्वी राज्य से यात्रा की शुरुआत को लेकर असम के विधानसभा स्पीकर ने राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे हैं. कांग्रेस पार्टी उत्तर पूर्व से यात्रा की शुरुआत इसलिए भी कर रही है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर पूर्व में कांग्रेस का जनाधार गिरा है. एक दशक से पहले तक पूरा उत्तर पूर्व कांग्रेस का गढ़ था. लेकिन पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने उत्तर पूर्व के राजनीतिक हालात पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिए हैं. वर्ष 2014 में कांग्रेस की उत्तर पूर्व के 7 राज्यों में से 5 राज्यों में सरकारें थीं. जबकि भारतीय जनता पार्टी की एक भी उत्तर पूर्वी राज्य में सरकार नहीं थी. लेकिन वर्ष 2023 आते आते कांग्रेस उत्तर पूर्व से पूरी तरह से साफ हो गई है.

किसी राज्य की सत्ता में कांग्रेस का कोई रोल नहीं

अभी की स्थिति ये है कि उत्तर पूर्व के 7 राज्यों में से 6 में या तो बीजेपी की सरकार है, या बीजेपी गठबंधन की सरकार है. इसके अलावा 1 राज्य मिजोरम में इस बार स्थानीय पार्टी सत्ता में है. यानी किसी राज्य की सत्ता में कांग्रेस का कोई रोल नहीं है. असम में बीजेपी सरकार, अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी गठबंधन की सरकार है, मणिपुर में बीजेपी सरकार है, त्रिपुरा में बीजेपी सरकार, मेघालय में बीजेपी गठबंधन की सरकार है, नगालैंड में बीजेपी गठबंधन की सरकार है और मिजोरम में भी स्थानीय पार्टी ZPM की सरकार है. उत्तर पूर्व के सभी 7 राज्यों को मिलाकर कुल 25 लोकसभा सीटें हैं. कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से मणिपुर से यात्रा को शुरु करके, उत्तर पूर्व की 25 सीटों को साधना चाहती है.

यात्रा 14 राज्यों से गुजरेगी

यही नहीं कांग्रेस की ये नई यात्रा 14 राज्यों से गुजरेगी, जिसमें 4 राज्य उत्तर पूर्व के हैं. बाकी 10 अन्य राज्यों की स्थिति भी आपको जाननी चाहिए. जिन 10 अन्य राज्यों से कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा गुजरेगी, उनमें से 6 राज्यों में बीजेपी सत्ता में है, 3 राज्यों में कांग्रेस पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल है और 1 राज्य में स्थानीय पार्टी की सरकार है. मणिपुर से शुरू होकर ये यात्रा पहले नगालैंड जाएगी..फिर असम और उसके बाद मेघालय पहुंचेगी. इसके बाद यात्रा पहुंचेगी पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है. ममता बनर्जी की पार्टी TMC, INDI गठबंधन में शामिल है. लेकिन यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि ये यात्रा INDI गठबंधन की यात्रा नहीं है, ये पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी की यात्रा है.

..ये कांग्रेस पार्टी की यात्रा

पश्चिम बंगाल के बाद यात्रा पहुंचेगी बिहार, जहां पर RJD और JDU की गठबंधन सरकार है. ये पार्टियां भी INDI गठबंधन में शामिल हैं. लेकिन जैसे कि हमने आपको बताया कि भारत न्याय यात्रा INDI गठबंधन की यात्रा नहीं है, ये कांग्रेस पार्टी की यात्रा है. इसीलिए इस राज्य में भी कांग्रेस अपना जनाधार मजबूत करना चाहेगी. बिहार के बाद यात्रा झारखंड का रुख करेगी, यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है, हालांकि इस सरकार में कांग्रेस सहयोगी है. झारखंड के बाद यात्रा ओडिशा का रुख करेगी, ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है. यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि ओडिशा में कांग्रेस को अपना जानाधार बढ़ाना है, क्योंकि नवीन पटनायक की पार्टी BJD, INDI गठबंधन में शामिल नहीं है.

बीजेपी शासित 6 राज्यों से होकर गुजरेगी यात्रा

ओडिशा के बाद कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा बीजेपी शासित 6 राज्यों... छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगी. यानी इन सभी 6 राज्यों में कांग्रेस को जीतने के लिए माहौल बनाना होगा. देखा जाए तो भारत न्याय यात्रा के दौरान जिन भी राज्यों से राहुल गांधी गुजरेंगे, वहां कांग्रेस को बहुत ज्यादा समर्थन की उम्मीद नहीं होगी. वजह ये है कि यात्रा के रूट पर पड़ने वाले किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं है, और जहां उनकी मौजूदगी है, वहां की सत्ता में वो गठबंधन में दूसरे या तीसरे नंबर पर हैं.

चुनावों से पहले यात्रा

चुनावों से पहले यात्रा निकालने का एकमात्र मकसद जनता के बीच, खुद की मौजूदगी का एहसास कराना होता है. पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जो स्थित हुई है. उसके बाद से कांग्रेस की असली चुनौती जनता के बीच अपनी छवि को सुधारना और अपने जनाधार को बढ़ाना है. कांग्रेस पार्टी की भारत न्याय यात्रा भी इसी मकसद से निकाली जाएगी और इसी मकसद को लेकर भारत जोड़ो यात्रा भी निकाली गई थी. इस भारत जोड़ो यात्रा का कितना लाभ कांग्रेस पार्टी को, इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में हुआ.. अब हम आपको ये बताते हैं.

-6 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक राहुल गांधी की अगुवाई में 'भारत जोड़ो यात्रा' निकाली गई थी.
- ये यात्रा 150 दिनों तक चली थी.
- भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से हुई थी, जो जम्मू कश्मीर में जाकर खत्म हुई थी.
- इस यात्रा में राहुल गांधी ने करीब 4 हजार 500 किलोमीटर की दूरी तय की थी. यात्रा में ज्यादातर दूरी राहुल गांधी ने पैदल ही तय की थी.
- भारत जोड़ो यात्रा का मकसद देश के 12 राज्यों को कवर करना था .
- भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को सीमित लाभ भी हासिल हुआ था.
- यात्रा के बाद हिमाचल और कर्नाटक के चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी.
- जबकि हाल ही में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.
- ये तीनों राज्य भारत जोड़ो यात्रा में कवर किए गए थे.

'भारत जोड़ो यात्रा'

इस यात्रा का दूसरा लाभ ये हुआ था कि इसके जरिए राहुल गांधी सीमित रूप में सही, लेकिन अपनी छवि को सुधारने में कामयाब रहे थे. 'भारत जोड़ो यात्रा' को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में अभी तक का सबसे सफल इवेंट कहा जा सकता है. इससे पहले उनकी छवि एक नादान राजनेता के तौर पर बनाई जाती रही, लेकिन इस यात्रा ने उन्हें जमीनी स्तर पर लोगों से जोड़ा, जिसकी वजह से उनकी छवि में कुछ सुधार हुआ.

मिला था कांग्रेस को फायदा

भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस ने काफी हद तक देश के राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में मोड़ा था. वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद, ये पहला मौका था, जब भारत का विपक्ष सड़क पर काफी एक्टिव नजर आया. दरअसल 2022 के बाद से देश में कई ऐसे मौके और मुद्दे आए, जब जनता विपक्ष को लेकर ही सवाल उठा रही थी. सवाल ये उठे कि जनता से जुड़े मुद्दों पर देश का विपक्ष, सरकार के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन करता हुआ नजर क्यों नहीं आता.

..तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार आई

भारत जोड़ो यात्रा के बाद हुए हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की. इस जीत के साथ देश का राजनीतिक माहौल काफी हद तक कांग्रेस के पक्ष में नजर आया था. लेकिन ये राजनीतिक माहौल नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद गायब हो गया था. दरअसल 5 राज्यों के इन चुनावों में से केवल 1 राज्य तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार आई. जबकि भारत जोड़ा यात्रा के रूट में राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्य भी थे. लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता चली गई और मध्य प्रदेश में मजबूत स्थिति में होने के बावजूद, राज्य की सत्ता बीजेपी के पाले में चली गई.

11 में से 3 राज्यों में कांग्रेस सत्ता में आई

भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने के बाद से देश के 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन 11 में से 3 राज्यों में कांग्रेस सत्ता में आई है. 7 में बीजेपी ने जीत दर्ज की है और 1 राज्य में स्थानीय दल विजयी रहा है. वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की सारी उम्मीदें INDI गठबंधन को लेकर हैं. लेकिन कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा, INDI गठबंधन में शामिल दूसरे दलों को नाराज भी कर सकती है. जैसे भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब राहुल गांधी महाराष्ट्र से गुजरे थे, तब सावरकर को लेकर शिवसेना के साथ उनकी तीखी नोंकझोंक हुई थी. जबकि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट INDI गठबंधन का हिस्सा है.

इंडिया अलायंस की नजर

इस बार भारत न्याय यात्रा बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से गुजरेगी, जहां पर कांग्रेस सत्ता के गठबंधन में Juniar Partner के तौर पर शामिल है. वहीं पश्चिम बंगाल में tmc सरकार है, जो INDI गंठबंधन में शामिल हैं. भले ही ये पार्टियां indi गठबंधन में हों लेकिन कांग्रेस की न्याय यात्रा के दौरान, इन पार्टियों के साथ कांग्रेस का तालमेल बिगड़ भी सकता है. अन्य राज्यों में जहां से न्याय यात्रा गुजरेगी, वहां के INDI गठबंधन के सहयोगी दल, कांग्रेस पार्टी को लेकर क्या रुख अपनाएंगे, ये भी देखना होगा. हम ये बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अभी तक INDI गठबंधन के बीच लोकसभा चुनावों को लेकर सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है. जबकि कई बैठकें हो चुकी हैं. कांग्रेस की न्याय यात्रा अगर सफल होती है, तो बहुत हद तक मुमकिन है कि कांग्रेस, सभी राज्यों में अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें मांगेगी. जो INDI गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.

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