UP Mafia Don: यूपी में एक से बढ़कर एक माफिया डॉन रहे हैं. ऐसे ही एक डॉन को खत्म करने के लिए पुलिस की पूरी टीम को बाराती बनकर उसके घर तक पहुंचना पड़ा था.
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Encounter story of Mafia don Ramesh Kalia: देश के सबसे सघन आबादी वाले राज्य यूपी में एक से बढ़कर एक डॉन हुए हैं, जिनके सामने कई बार पुलिस-प्रशासन भी पस्त दिखा. ऐसे ही एक डॉन ने कुछ ही सालों में दहशत का ऐसा साम्राज्य स्थापित किया कि लोग उसके नाम से ही कांपने लगे थे. वह जब चाहे दिनदहाड़े किसी का भी मर्डर कर देता था. उस तक पहुंचने के लिए पुलिस की पूरी टीम को बाराती बनना पड़ा. इंस्पेक्टर ने दूल्हे का वेष धरा तो महिला सिपाही को दुल्हन बनाया गया. बाकी पुलिसकर्मी भी बाराती के रूप में जमकर नाचे. इसके बाद डॉन के घर जाकर पुलिस ने एक्शन शुरू किया और उसे एनकाउंटर में मार गिराया.
बाबा की हत्या के बाद अपराध की दुनिया में कूदा
इस माफिया डॉन का नाम था रमेश यादव. वह 2004 में यूपी का एक बड़ा डॉन था. चूंकि उसका रंग काला था, इसलिए पुलिस रिकॉर्ड में वह रमेश कालिया (Ramesh Kalia) के रूप में ज्यादा चर्चित हुआ. उसका परिवार लखनऊ के नीलमथा कैंट एरिया में रहता था. पढ़ाई में मन नहीं लगने की वजह से उसके पिता के फूफा अयोध्या प्रसाद यादव केवल 10 साल की उम्र में उसे अपने साथ ले गए थे. वहां पर गांव की आपसी राजनीति में रघुनाथ यादव उर्फ रघुनाथ प्रधान ने अयोध्या प्रसाद यादव की हत्या करवा दी. इसके बाद अयोध्या प्रसाद यादव का बेटा शिवराज यादव अपने बाकी परिवार को बचाने के लिए गांव छोड़कर गोमतीनगर आकर रहने लगा.
विरोधियों के 7 में से 5 भाइयों को मरवा दिया
कहते हैं कि वहां पर शिवराज यादव पर हमला किया गया. इसके बाद शिवराज यादव ने पलटवार करने की ठानी. उसने और रमेश यादव (Ramesh Kalia) ने मिलकर रघुनाथ यादव पर फायरिंग की लेकिन वह बच गया. अपने बाबा अयोध्या प्रसाद यादव की हत्या का बदला लेने के लिए रमेश कालिया ने रघुनाथ यादव पक्ष के 7 भाइयों में से 5 को एक-एक करके ठिकाने लगा दिया. इनमें से कुछ को उसने खुद मारा, जबकि कुछ को सुपारी देकर मरवाया. अपने बदले को पूरा करने के लिए उसने लखनऊ के दूसरे डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का भी साथ लिया.
बाहुबली नेता अजीत सिंह की हत्या
उसने एक बार चुनावी राजनीति में बाहुबली एमएलसी अजीत सिंह को भी घेर लिया था. रमेश कालिया (Ramesh Kalia) से बचने के लिए अजीत सिंह एक पेट्रोल पंप में छिप गया था. वह तब तक अंदर छुपा रहा, जब तक उसके बाकी साथी वहां नहीं पहुंच गए थे. रमेश कालिया ने केवल अपने विरोधियों को ही नहीं मारा बल्कि अवैध वसूली और फिरौती का साम्राज्य भी स्थापित किया. उसने बाद में अजीत सिंह की गाड़ी रोककर सरेआम उसकी हत्या कर दी थी. इस हत्या के बाद ही उसके बुरे दिन शुरू हो गए थे और वह शासन-पुलिस की नजरों में आ गया.
पुलिस टीम को मुखबिर से मिली सूचना
तब तक रमेश कालिया (Ramesh Kalia) पर हत्या के तीन दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके थे. उसके बढ़ते आतंक को खत्म करने के लिए पुलिस ने एक खास एनकाउंटर स्पेशलिस्ट टीम बनाई. इस टीम में पुलिस के तेज तर्रार दरोगाओं और सिपाहियों को शामिल किया गया. पुलिस को मुखबिरों से सूचना मिली कि वह लखनऊ में अपने घर पर मौजूद है. पुलिस ने तुरंत उसकी घेराबंदी का प्लान बनाया. लेकिन समस्या ये थी कि वह हमेशा हथियारों से लैस रहता था और गांव के रास्ते पता होने की वजह से वह कहीं भी बचकर निकल सकता था.
बाराती बनकर पहुंची पुलिस, कर दिया एनकाउंटर
इसके बाद पुलिस टीम बाराती बनकर 12 फरवरी 2005 को उसके घर के बाहर पहुंची. बारात में एक दरोगा को दूल्हा और महिला सिपाही को दुल्हन बनाया गया था. बाकी पुलिसवाले बाराती बनकर नाच रहे थे. गांव में आई बारात को देखकर किसी को उन पर शक नहीं हुआ. इसके बाद पुलिस ने तुरंत रमेश कालिया (Ramesh Kalia) का घर घेर लिया और उसे सरेंडर करने के लिए कहा. कहा जाता है कि जब रमेश कालिया ने सरेंडर नहीं किया तो पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया. इस घटना में रमेश कालिया के साथ उसके 2 साथी भी मारे गए थे. इसके साथ ही लखनऊ में आतंक के एक युग का अंत हो गया था.