इस चार्जशीट के जरिए सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि एडवोकेट संजीव पुनालेकर को दाभोलकर के हत्या के बारे पता था.
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पुणे: डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले (Narendra Dabholkar Murder Case) में सीबीआई ने पुणे कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल की है. इस चार्जशीट के जरिए सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि एडवोकेट संजीव पुनालेकर को दाभोलकर के हत्या के बारे पता था. पुनालेकर ने ही शूटर शरद कालस्कर की हत्या से जुड़े सभी हथियार नष्ट करने की सलाह दि थी. सीबीआई ने ये आरोप पत्र आरोपी एडवोकेट संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ दायर की है.
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि संजीव पुनालेकर के निर्देशानुसार शरद कालस्कर ने हत्या में इस्तेमाल हथियार को ठाणे-नासिक हाइवे पर खारेगांव नाले में फेंक था. इस हथियार को खोजने के लिए 19 अक्टूबर 2019 से रिकवरी ऑपरेशन शुरू हो गया है. इस सर्च ऑपरेशन का काम यूएई की एक फर्म को दिया गया है.
सीबीआई ने आरोप पत्र में बताया है कि आरोपी संजीव पुनालेकर के लैपटॉप से एक पत्र बरामद किया गया है. पुनालेकर ने ये पत्र नरेंद्र दाभोलकर को लिखा था, जिससे पता चलता है कि पुनालेकर दाभोलकर के विरोधी थे. दाभोलकर की हत्या में गिरफ्तार शूटर शरद कालस्कर ने कबूल किया है कि आरोपी विक्रम भावे ने उसकी मदद की और दूसरे शूटर सचिन अंदुरे ने उस इलाके की रेकी की थी.
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आरोप पत्र में कहा गया है कि जहां दाभोलकर की हत्या की जानी थी और हत्या के बाद वहां से कैसे और किस रास्ते भागना है ये उन्हें भावे ने ही समझाया था जिसे वे अपराध के बाद इस्तेमाल करने वाले थे. सीबीआई ने आरोप पत्र में बताया है कि जप्त किए गए पुनालेकर के लैपटॉप से बरामद किए गए दस्तावेजों में से एक दस्तावेज में पुनालेकर ने नालासोपारा के हथियारों के मामले का जिक्र किया है. पुनालेकर को 2005 में हिंदू जनजागृति समिति का सदस्य बनाया गया और वो सनातन संस्था का सक्रिय साधक है.
सीबीआई ने आरोप पत्र में ये भी बताया है कि पूछताछ में पुनालेकर ने स्वीकार किया कि वह कालस्कर से मिले थे और कालास्कर ने इस बात को स्वीकार किया था कि उसने दाभोलकर की हत्या की. इसके साथ ही पूछताछ में पुनालेकर ने स्वीकार किया कि उन्होंने कलास्कर को उन सभी सामग्रियों से छुटकारा पाने के लिए कहा जो उन्हें हत्या में फंसा सकती हैं.
आपको बता दे कि नरेंद्र दाभोलकर पेशे से डॉक्टर थे. वो अंधविश्वास के खिलाफ समाज को जागृत करने का काम भी करते थे. इस सिलसिले में उन्होंने 1989 में महाराष्ट्र अंधविश्वास निर्मूलन समिति भी बनाई थी जिसके वो अध्यक्ष थे. सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे दाभोलकर को कई बार जान से मारने की धमकी मिल चुकी थी. 20 अगस्त 2013 को पुणे में जब वो मॉर्निंग वॉक पर निकले थे तब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.